रायपुर। मध्यप्रदेश में अध्यापकों के संविलियन के बाद छत्तीसगढ़ में भी इसी फार्मूले पर शिक्षाकर्मियों के संविलियन की चर्चा चल रही है। हालांकि सरकार ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। इस बीच प्रदेश के शिक्षाकर्मियों ने मध्यप्रदेश के नियमों को खंगालना शुरू कर दिया है। मोर्चा ने मप्र के नियमों का गुण दोष के आधार पर अध्ययन कर नई शर्त जोड़ दी है। उनका कहना है कि समतुल्य वेतन निर्धारण की विसंगति दूर करते हुए व्याख्याता, शिक्षक और सहायक शिक्षक के पद पर संविलियन ही स्वीकार किया जाएगा। उनका मानना है कि मप्र के नियम में भी कई पेंच है।
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छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों के संविलियन का मुद्दा गरमाने लगा है। चुनावी साल होने के कारण सरकार भी इस मसले पर सोच विचार के बाद ही कदम उठा रही है। मध्यप्रदेश में संविलियन की घोषणा के बाद कैबिनेट में भी इसे पास कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार के ऊपर मध्यप्रदेश की तर्ज पर यहां भी संविलियन का दबाव है। हालांकि सरकार किसी कानूनी पचड़े में नहीं पड़ना चाहती। लिहाजा मध्यप्रदेश के नियमों-प्रावधानों के अध्ययन के बाद ही कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा।
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शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय शर्मा, प्रदेश उप संचालक हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, मनोज सनाढ्य, शैलेन्द्र पारीक, सुधीर प्रधान, विवेक दुबे ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि छत्तीसगढ़ में समतुल्य वेतन निर्धारण की विसंगति दूर करते हुए समानुपातिक, कर्मोनन्ति के आधार पर छठवें(समतुल्य/ पुनरीक्षित) वेतनमान का निर्धारण कर मौजूदा वेतन पर सातवें वेतनमान के निर्धारण का लाभ देते हुए व्याख्याता, शिक्षक, सहायक शिक्षक के पद पर ही संविलियन स्वीकार किया जाएगा।
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उनकी दलील है कि मध्यप्रदेश में अध्यापक पंचायत से शिक्षा विभाग और स्थानीय निकाय के बजाय राज्य सरकार के कर्मचारी माने जाएंगे। उन्हें आवास, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, यात्रा भत्ता का लाभ मिलेगा और 7 वें वेतनमान का लाभ 1 जुलाई 2018 से देय होगा। 1 जनवरी 2016 से लाभ काल्पनिक है। लेकिन अध्यापकों का व्याख्याता, शिक्षक, सहायक शिक्षक के पद पर संविलियन नहीं हुआ है। शिक्षा विभाग में ले जाकर नया कैडर बनाया गया। उन्हें 7 वें वेतनमान का लाभ 1 जनवरी 2016 के बजाय 1 जुलाई 2018 से दिया जाएगा। ग्रेच्यूटी का प्रावधान नही किया गया। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि संस्था प्रमुख के पद पर पदोन्नति कैसे होगी। यह भी स्पष्ट नहीं है कि भुगतान गैर आयोजना मद से होगा या फिर वेतन भुगतान या आबंटन की परेशानी रहेगी।
वेब डेस्क, IBC24
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