छेरछेरा माई कोठी के धान ला हेर हेरा के स्वर से गूंजा छत्तीसगढ़ | chherchhera celebrate on Full moon

छेरछेरा माई कोठी के धान ला हेर हेरा के स्वर से गूंजा छत्तीसगढ़

छेरछेरा माई कोठी के धान ला हेर हेरा के स्वर से गूंजा छत्तीसगढ़

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : January 2, 2018/3:46 am IST

रायपुर। प्रदेश में पौष माह के आखिरी दिन पूर्णिमा को छेरछेरा का पर्व मनाया जा रहा है, सुबह से बच्चों का समूह हाथ में झोलियां लेकर घर-घर जाकर छेरछेरा मांग रहे हैं. शहर में सुबह से गलियों और घरों के पास ”छेरछेरा माई कोठी के धान ला हेर हेरा” के स्वर गूंज उठते हैं छेरछेरा में बच्चों को लोग धान और चांवल का दान करते हैं. 

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अमूमन फसल कटने के बाद खुशहाली का ये लोकपर्व छेरछेरा ग्रामीण अंचलों के साथ शहरों में मनाया जाता है. छेरछेरा पर बच्चों के साथ ही बड़े भी बच्चे बन जाते हैं। वहीं वे ग्रुप बनाकर डंडा नाच भी करते हैं। ग्रामीण अंचल में वे इसी तरह समूह में डंडा नाच करते हुए छेरछेरा मांगेंगे।

        

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लोकपर्व को खास बनाने घरों में लजीज भोजन तैयार करने के साथ ही स्थानीय पकवान भी बनाए जाएंगे। इसके तहत घरों में अरसा, खुरमी, ठेठरी, चौसेला आदि बनाए जाएंगे।

 

किवदंतियां-

छेरछेरा पर कई किवदंतिया है ऐसी मान्यता है कि कल्चुरी काल में कौशल नरेश कल्याण साय कई वर्षों बाद पौष पूर्णिमा को जहांगीर के दरबार से अपनी राजधानी रतनपुर पहुंचे थे। प्रजा को जब अपने राजा के इतने दिन बाद लौटने की खबर हुई तो वे राजधानी पहुंच गए। इधर रानी राजा के स्वागत में लगी हुई थीं और प्रजा की ओर उन्हें ध्यान नहीं रहा। इससे उनमें निराशा हुई।

         

रानी को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने स्वर्ण समेत अन्य रत्नों की उनके बीच वर्षा करा दी। इससे प्रजा काफी खुश हुई। तब रानी ने उन्हें प्रतिवर्ष इस तिथि पर आने की बात कही। तब से अपने राजा के लौटने के दिन को यादगार बनाने के लिए इस पर्व की शुरुआत की गई। दूसरी ओर फसल के खलिहान से घर आने के बाद जश्न के रूप में छेरछेरा मनाने की बात भी कही जाती है।

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पौष पूर्णिमा पर श्रद्धालु ब्रम्हमुहूर्त में सरोवरों व नदी में स्नान करेंगे। मान्यता है कि इस दिन स्नान-ध्यान कर पूजन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके बाद माघ महीने की शुरुआत हो जाएगी। साथ ही शुभ कार्य भी शुरू हो जाएंगे। हालांकि इसके लिए उन्हें मुहूर्त का इंतजार करना पड़ेगा।

 

 

 

वेब डेस्क, IBC24