आप ट्रैफ़िक सिग्नल से हर रोज गुजरते होंगे और देखते होंगे कि रेड लाइट होते ही आपकी कार के पास भिखारियों की भीड़ जुट जाती है. कई बार तो भिखारियों की हालत पर तरस खाते हुए कुछ लोग पैसे भी दे देते हैं. पर आपने कभी सोचा है कि जिन भिखारियों को आप कुछ पैसे भीख में देते हैं उनकी आमदनी इतनी भी हो सकती है कि वो ख़ुद का एक अलग बिज़नेस चला सकें! आप सोच रहे होंगे कि जो लोग अपना रोज का गुजार भीख मांगकर करते हैं वो अपना बिज़नेस कैसे चला सकते हैं. इसीलिए आज हम आपको एक ऐसे शख्स से रू-ब-रू करवा रहे हैं, जो है तो भिखारी लेकिन वो अपना बिजनेस भी चलाता है.
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दरसअल, झारखण्ड के रहने वाले 40 वर्षीय छोटू बराइक एक भिखारी है और वो चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन पर आती-जाती रेलगाड़ियों में घुस कर भीख मांगते हुए दिखाई दे जाते हैं। इसकी महीने की कमाई 30 हजार से ऊपर है, और मजेदार बात ये है कि उसकी तीन बीवियां हैं। बताया जा रहा है कि छोटू बराइक की झारखंड के सिमडेगा में एक बर्तन की दुकान भी है, और वो वेस्ट्रिज नाम की चेन मार्केटिंग कंपनी का मेंबर भी है। लोग इसे लखपतिया भिखारी के नाम से भी पुकारते हैं।
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आपको बता दें कि छोटू बराइक पैरों से दिव्यांग है। क्योंकि छोटू दिव्यांग हैं और लोग दिव्यांगता देखते हुए अधिक रहम करते हैं। छोटू का कहना है कि वो रोजाना हजार से बारह सौ रुपए तक की भीख मांग लेता है. इसका ये भी कहता है कि सारा पैसा तो पारिवारिक खर्च में चला जाता है। मैंने तीन शादियां की हैं। तीनों को नियमित खर्च देता हूं।
वेब डेस्क, IBC24