चीन ने फिर बदला अपना पैतरा | China again changed its territory

चीन ने फिर बदला अपना पैतरा

चीन ने फिर बदला अपना पैतरा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:13 PM IST, Published Date : October 31, 2017/6:04 am IST

चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अभी डोकलाम विवाद की आंच ठंडी भी न पड़ी थी कि उसने भारत के खिलाफ नई साजिश रचने का नया प्लान तैयार किया है। इसके तहत अब चीन ब्रह्मपुत्र नदी का रोकने के लिए तैयारी कर रहा है। इसके लिए 1000 किमी लंबी सुरंग बनाने की तैयारी कर रहा है, जिसके माध्यम से चीन ब्रह्मपुत्र नदी के जलप्रवाह को अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिब्बत से शिनजियांग की तरफ मोडने की फिराक में है।

 

हिमाचल पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव

हांगकांग के अखबार ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने खबर दी है कि इस कदम से पर्यावरणविदों में चिंता पैदा हो गई है, क्योंकि इसका हिमालयी क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह प्रस्तावित सुरंग चीन के सबसे बड़े प्रशासनिक क्षेत्र को पानी मुहैया कराने का काम करेगी। दक्षिणी तिब्बत की यारलुंग सांगपो नदी के जलप्रवाह को शिनजियांग के ताकालाकान रेगिस्तान की तरफ मोड़ा जाएगा। भारत में इस नदी को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है। 

 रेगिस्तानी क्षेत्र को देगा पानी 

चीन की सरकार ने मध्य युनान प्रांत में इसी साल अगस्त में 600 किलोमीटर से अधिक लंबी सुरंग बनाने का काम आरंभ किया। तिब्बत-शिनजियांग जल सुरंग के प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने में सहायक रहे शोधकर्ता वांग वेई ने कहा कि शोध कार्य में 100 से अधिक वैज्ञानिकों के अलग-अलग दल बनाए गए हैं। प्रस्तावित सुरंग जो दुनिया के सबसे ऊंचे पठार से होकर गुजरेगी। यह सुरंग चीन के मरुस्थल को पानी उपलब्ध कराएगी। 

 

तो प्रभावित होंगे भारत-बांगलादेश

यह पानी दक्षिण तिब्बत में यारलंग सांगपो नदी से मुड़कर शिनचियांग के तकलमाकन मरुस्थल में पहुंचेगा। मालूम हो कि भारत पहले ही ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जाने वाले बांधों को लेकर चीन के समक्ष चिंता जता चुका है। वहीं चीन भारत और बांग्लादेश को यह आश्वासन दे चुका है कि उसके बांध नदी परियोजना को संचालित करने के लिए हैं और इन्हें जल संग्रह करने को लिए डिजाइन नहीं किया गया है। भारत और बांग्लादेश दोनों को ब्रह्मपुत्र से पानी मिलता है।