नई दिल्ली। जिस कोहिनूर हीरे के बारे में आप पढ़ते आए हैं कि कभी वह भारत का हुआ करता था, उसी कोहिनूर हीरे को लेकर केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय से पूछा है कि सरकार ने कोहिनूर हीरा वापस भारत लाने के लिए क्या कोशिशें की हैं। सीआईसी ने इसके अलावा महाराजा रणजीत सिंह का सोने का सिंहासन, शाहजहां का हरिताश्म का शराब का प्याला और टीपू सुल्तान की तलवार जैसी प्राचीन बेशकीमती वस्तुओं को वापस लाने के लिए की गई कोशिशों का खुलासा करने का निर्देश दिया है।
ये सभी वस्तुएं प्राचीन भारत में मौजूद थीं और तब के समय में भारत की एक अलग होने की पहचान थीं। समय के साथ-साथ विदेशी आक्रमणकारी और औपनिवेशिक शासनकर्ता भारत से जाते वक्त इन्हें अपने साथ ले जाते गए। आज ये सभी वस्तुएं किसी न किसी देश के संग्रहालय में मौजूद हैं।
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इस बारे में एकआरटीआई एक्टिविस्ट ने प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय से सवाल किया लेकिन उसका आवेदन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(एएसआई) को भेज दिया गया। फिर एएसआई ने कहा कि वस्तुओं को वापस लाने का प्रयास करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। एएसआई ने जवाब दिया कि वह केवल उन्हीं प्राचीन वस्तुओं को फिर से हासिल करने का प्रयास करती है जो प्राचीन वस्तु एवं कला संपदा अधिनियम, 1972 का उल्लंघन कर अवैध रूप से विदेश निर्यात की गयी हैं।
एक्टिविस्ट बीकेएसआर आयंगर ने अपने आवेदन में कोहिनूर हीरा, सुलतानगंज बुद्धा, नस्साक हीरा, टीपू सुलतान की तलवार और अंगूठी, महाराजा रणजीत सिंह का सोने का सिंहासन, शाहजहां का हरिताश्म का शराब का प्याला, अमरावती रेलिंग और बुद्धपाडे, सरस्वती की संगमरमर की मूर्ति और टीपू के मेकैनिकल बाघ को वापस भारत लाने के लिए सरकार की कोशिशों से जुड़े रिकार्ड मांगे थे।
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सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यलु ने कहा कि ये वस्तुएं भारत की हैं और अतीत, वर्तमान और भविष्य के लोगों को उन्हें फिर हासिल किये जाने में रुचि है। सरकार इन भावनाओं की अनदेखी नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय को आश्वासन दिया था कि वह कोशिश करना जारी रखेगा, ऐसे में प्रयासों में यदि कोई प्रगति हुई है तो उसकी जानकारी देना उसका काम था।
वेब डेस्क, IBC24