रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को विधानसभा में राज्य सरकार के वर्ष 2019-20 के द्वितीय अनुपूरक बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राज्य की अपनी सीमाओं और भारतीय संविधान में कहीं कोताही होती है तो राज्य के उपायों का दायरा बढ़ाना पड़ता है। पिछले 15 सालों में जनता को अपनी जड़ों से काटने का षडयंत्र किया गया, उससे निजात दिलाने का हमारा अभियान सबसे पहला अभियान था, जो जारी है और जारी रहेगा। इस क्रम में हमने सिर्फ हरेली, तीजा-पोरा, विश्व आदिवासी दिवस, भक्त माता कर्मा जयंती, छठ पूजा, भाई दूज (मातर) जैसे त्यौहारों को अपनी माटी की सुगंध से ही नहीं जोड़ा, बल्कि अब इसका विस्तार भी कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें- आचार संहिता लागू, राशन कार्ड के वितरण पर तत्काल प्रभाव से रोक
सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ लोक रंगों की धरती है। हमारे यहां छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी, दोरली, सरगुजिया हर बोली-भाषा का अपना संसार है और सबकी अपनी ऊंचाई है। हमे मौका मिला तो हमने डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा द्वारा रचित ‘अरपा पैरी के धार को गीत को राजगीत का गौरव दिया। जिस तरह हमने हरेली को बचाया, राजिम मेले को बचाया उसी तरह छत्तीसगढ़ के हर अंचल की बोली-भाषा-संस्कृति-साहित्य सब हम बचाएंगे।
ये भी पढ़ें- विधानसभा में पीसीसी चीफ का सवाल, ‘2013 का घोषणा पत्र क्या बीजेपी ने…
मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में कवि मीर अली मीर की कविता का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पहली बार आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए रायपुर में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। राष्ट्रीय युवा एवं खेल महोत्सव का विकासखण्ड, जिला और राज्य स्तर पर आयोजन किया जा रहा है।