होशंगाबाद। मप्र सरकार द्वारा कम्यूटर बाबा को नर्मदा न्यास का अध्यक्ष बनाए जाने का आदेश विवादों में घिर गया है। उनकी नियुक्ति आदेश में अंकित तारीख को लेकर बवाल मचा गया है। कहा जा रहा है कि नियुक्ति आदेश आचार संहिता के पहले आनन फानन में जारी हुआ है। इसे लेकर विपक्ष ने बीजेपी ने कमलनाथ सरकार पर कंप्यूटर बाबा को जल्दबाजी में उपकृत करने का आरोप लगाया है।
वहीं नर्मदा न्यास के अध्यक्ष बनने के बाद कंप्यूटर बाबा ने कहा है कि नर्मदा की बात पर हमने शिवराज सरकार का दिया था। लेकिन सरकार अवैध खनन नहीं रोक पाई। इसलिए ऐसी धर्म विरोधी सरकार से इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार धर्म से नहीं चली तो कान पकड़कर इसे भी उतार देंगे।
दूध के दाम तय करने जनहित याचिका, आवश्यक वस्तु अधिनियम का दिया गया हवाला
कंप्यूटर बाबा न्यास के अध्यक्ष बनने के बाद नर्मदा पूजन के लिए सेठानी घाट पहुंचे थे। उन्होंने नर्मदा के अवैध उत्खनन पर कहा कि नर्मदा में अवैध उत्खनन नहीं होने देंगे। बता दें कि कम्प्यूटर बाबा के नियुक्ति आदेश में 8 मार्च 2018 की तारीख अंकित है, जबकि इस तारीख में न तो नदी न्यास था, और न ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। इसे लेकर विपक्ष ने बीजेपी ने कमलनाथ सरकार पर कंप्यूटर बाबा को जल्दबाजी में उपकृत करने का आरोप लगाया है।