दक्षिण के लीजेंड्री एक्टर शिवाजी गणेशन की जयंती पर सोशल मीडिया में बधाइयों का तांता | congratulations on the birth anniversary of legendary actor Shivaji Ganesan

दक्षिण के लीजेंड्री एक्टर शिवाजी गणेशन की जयंती पर सोशल मीडिया में बधाइयों का तांता

दक्षिण के लीजेंड्री एक्टर शिवाजी गणेशन की जयंती पर सोशल मीडिया में बधाइयों का तांता

:   Modified Date:  December 4, 2022 / 04:16 AM IST, Published Date : December 4, 2022/4:16 am IST

दक्षिण के लीजेंड एक्टर शिवाजी गणेशन की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा। वैसे नाम तो उनका विल्लुपुरम चिन्नैया गणेशन था, लेकिन लोग उन्हें शिवाजी गणेशन के नाम से ही ज्यादा जानते हैं। दक्षिण भारत के अपने जमाने के सुपरस्टार शिवाजी गणेशन के प्रशंसकों में आज के दौर के सुपरस्टार्स रजनीकांत और कमल हासन भी शामिल हैं। 1 अक्टूबर 1928 को शिवाजी गणेशन का जन्म हुआ था और करीब 50 साल तक वो अभिनय के क्षेत्र में एक के बाद एक मुकाम हासिल करते रहे। इस दौरान उन्होंने 283 फिल्मों में अभिनय किया, जो तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और हिंदी में बनीं। शिवाजी गणेशन सिर्फ एक बेहतरीन अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि भरतनाट्यम, कत्थक, मणिपुरी नृत्यकलाओं में भी प्रशिक्षित और पारंगत थे। शिवाजी गणेशन के बारे में कहा जाता है कि वो किसी भी तरह की भूमिका बेहद कुशलता से निभाने में अपने दौर के अन्य कलाकारों से कहीं आगे थे और जब वो धार्मिक किरदारों में आते थे तो लाजवाब होते थे। 

शिवाजी गणेशन देश के पहले तमिल अभिनेता थे, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड से नवाजा गया था। 1960 में मिस्र की राजधानी काहिरा में एफ्रो-एशियन फिल्म फेस्टिवल में शिवाजी गणेशन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता सम्मान मिला था। अपने फिल्मी करियर के दौरान उन्हें सर्वश्रेष्ठ तमिल अभिनेता के लिए 12 राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किया गया। चार बार दक्षिण का फिल्मफेयर अवार्ड, एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी उन्हें मिला। लॉस एंजल्स टाइम्स ने शिवाजी गणेशन पर लिखे अपने आर्टिकल में उन्हें भारतीय सिनेमा का मर्लेन ब्रांडो बताया था। फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादासाहब फाल्के से नवाजे जा चुके शिवाजी गणेशन को कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पहले पद्मश्री और फिर पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया।

एक कलाकार और अभिनेता के रूप में बेहद कामयाब शिवाजी गणेशन का राजनीतिक सफर उतना कामयाब नहीं साबित हुआ। राज्यसभा सांसद रहे शिवाजी गणेशन का राजनीतिक करियर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1984 में हुई हत्या के बाद डगमगा गया। 1987 में उन्होंने अपनी अलग राजनीतिक पार्टी टीएमएम का गठन किया, जिसमें सफलता नहीं मिली। 1989 में वे जनता दल के तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए, लेकिन इसे भी सफलता नहीं मिल पाई। इसके बाद एक तरह से वो सक्रिय राजनीति से अलग हो गए। 21 जुलाई 2001 को सांस लेने में तकलीफ को लेकर उन्हें चेन्नई में अपोलो अस्पताल में दाखिल कराया गया, लेकिन उनका देहावसान हो गया।`

 
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