राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक का बयान, कश्मीरी मुसलमानों को सिखाई जाए भारतीयता | muslim rashtriya manch join news, Convenor statement of the National Muslim Forum Kashmiri Muslims should be taught Indianness

राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक का बयान, कश्मीरी मुसलमानों को सिखाई जाए भारतीयता

राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक का बयान, कश्मीरी मुसलमानों को सिखाई जाए भारतीयता

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : August 14, 2019/7:18 am IST

जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस का दर्जा हटाने वाले आर्टिकल 370 के कई खंड हटने के बाद आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। इंद्रेश कुमार ने कहा कि अगला कदम अब कश्मीरी मुसलमानों को ‘भारतीयता’ सिखाने का होना चाहिए। बता दें कि इंद्रेश कुमार राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक भी है,उन्होंने लंबे समय तक जम्मू-कश्मीर में रहकर राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के बैनर तले काम किया है।

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इंद्रेश कुमार ने कहा कि, ‘एक खास तरह का इस्लाम धर्म है जो रमजान और ईद तक का सम्मान नहीं करता है। यह सिर्फ हिंसा फैलाता है। पुलवामा हमले ने इसे साफ कर दिया है। कश्मीरी मुस्लिमों को इस तरह के इस्लाम धर्म से दूर रहना चाहिए। देशभर के अन्य जगहों के मुसलमानों ने एक राष्ट्र, एक झंडा, एक संविधान और एक नागरिकता के सिद्धांत को स्वीकार किया है। अब यही तरीका है जिससे घाटी का विकास हो सकता है।’

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राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक ने इंदेश कुमार ने ये भी कहा कि, ‘लद्दाख और कश्मीर घाटी के एक चौथाई लोग अनुच्छेद 370 के समाप्त होने से खुश हैं। कुल मिलाकर जम्मू-कश्मीर की लगभग दो-तिहाई आबादी इस अनुच्छेद के हटने से खुश है।’ उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम के बाद जम्मू-कश्मीर के पंडितों, डोगरों, सिखों, शिया मुसलमानों, गुर्जर और दलितों को न्याय मिला है।

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इंद्रेश के मुताबिक, ‘कश्मीर घाटी भारत का अभिन्न अंग है और घाटी के लोगों को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रवाद और राष्ट्रहित की अवधारणा से जोड़ने की दिशा में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि कश्मीरी मुस्लिमों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो शांति और विकास चाहता है। यह वर्ग जानता है कि भारत ही उन्हें यह सब दे सकता है।

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कश्मीर में वर्तमान हालातों का जिक्र करते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि उन्होंने अपने संगठनों के माध्यम से राज्य के तमाम लोगों से भेंट की है और अब उनके दो संगठन प्रशासनिक लोगों से उन विषयों पर बातचीत कर रहे हैं जिनके माध्यम से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग किया जा सके।

 
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