रायपुर। देश की कोविड-19 टास्क फोर्स के मेंबर और एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि अब RT-PCR टेस्ट निगेटिव आने के बावजूद जिन लोगों में कोरोना के पारंपरिक लक्षण हैं, उनका भी कोरोना के तय प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया जाना चाहिए।
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कोरोना वायरस का यह नया स्ट्रेन हद से ज्यादा संक्रामक है और संक्रमित मरीज के संपर्क में केवल 1 मिनट रहने से ही दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो रहा है।
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कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन RT-PCR टेस्ट में भी पकड़ में नहीं आ रहा है। कई लोगों में कोरोना के लक्षण दिखने के बावजूद उनकी रिपोर्ट निगेटिव है, यानी उनकी रिपोर्ट फॉल्स निगेटिव है।
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डॉ. गुलेरिया का कहना है कि कोरोना मामलों की बढ़ती तादाद के चलते टेस्ट रिपोर्ट आने में कई दिनों की देरी हो रही है। ऐसे मामलों में डॉक्टर्स को क्लीनिको-रेडियोलॉजिकल डायग्नोसिस करना चाहिए। अगर ऐसे लोगों के सीटी स्कैन में कोरोना के परंपरागत लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर्स को फौरन उनका कोरोना प्रोटोकॉल के तहत इलाज शुरू कर देना चाहिए।
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