भोपाल: राजधानी भोपाल में सोमवार शाम कोरोना पाॅजिटिव मरीज के साथ क्रूरता की सभी हदें पार हो गई। दरअसल डायलिसिस के लिए पीपुल्स जनरल हाॅस्पिटल में भर्ती भोपाल के 57 वर्षीय व्यक्ति वाजिद खान की कोरोना रिपोर्ट पाॅजिटिव आई, तो एक अस्पताल से उन्हें दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया। लेकिन वाजिद खान की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई। इसके बाद दोनों अस्पतालों ने डेडबाॅडी लेने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं पीपुल्स जनरल हॉस्पिटल के बाहर घंटों मृतक का शव स्ट्रेचर पर पड़ा रहा लेकिन सुध लेने वाला अस्पताल का कोई कर्मचारी नहीं आया।
मिली जानकारी के अनुसार वाजिद का राजभवन के पास स्थित पीपुल्स जनरल हाॅस्पिटल में डायलिसिस चल रहा था। सोमवार को उनकी कोरोना रिपोर्ट पाॅजिटिव आई, तो वाजिद को चिरायु अस्पताल में भर्ती करना तय हुआ। शाम को वाजिद को लेने चिरायु अस्पताल की एंबुलेंस आई, लेकिन पीपुल्स हाॅस्पिटल से रेफर होने के बाद चिरायु अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। इसके बाद चिरायु अस्पताल के कर्मचारियों वाजिद खान की लाश को वापस लाकर पीपुल्स हाॅस्पिटल के बाहर स्टे्रचर पर रख दिया।
पीपुल्स हाॅस्पिटल के मैनेजर यूडी दीक्षित का दावा है कि एंबुलेंस वापस लौटी तो एंबुलेंस के कर्मचारियों ने बताया कि वाजिद की रास्ते में मौत हो गई है और इस कारण वो डेडबाॅडी चिरायु अस्पताल लेकर नहीं जाएंगे। दीक्षित ने बताया कि उन्होंने भी डेडबाॅडी लेने से इनकार कर दिया। जब एंबुलेंस के कर्मचारियों ने बाॅडी स्ट्रेचर पर रखी तो पीपुल्स अस्पताल की टीम ने वाजिद की जांच की, लेकिन वाजिद की सांसें नहीं चल रही थीं। वाजिद को स्ट्रेचर पर छोड़कर चिरायु की एंबुलेंस रवाना हो गई। पीपुल्स हाॅस्पिटल ने इस संबंध में प्रशासन को सूचना दी। करीब घंटेभर तक वाजिद की डेडबाॅडी अस्पताल के बाहर स्ट्रेचर पर ही पड़ी रही। करीब घंटेभर बाद वापस चिरायु अस्पताल की एंबुलेंस आई और वाजिद की बाॅडी लेकर रवाना हो गई।
पीपुल्स अस्पताल के मैनेजर दीक्षित ने बताया कि पीपुल्स अस्पताल में कोविड-19 का इलाज नहीं होने के कारण उन्होंने डेडबाॅडी लेने से इनकार किया था। वहीं वाजिद के बेटे आबिद का कहना है कि वो पिता के साथ एंबुलेंस चिरायु अस्पताल जाना चाह रहे थे। लेकिन उन्हें साथ जाने की परमिशन नहीं दी गई। वहीं, इस संबंध में अब तक चिरायु अस्पताल की ओर से पक्ष सामने नहीं आया है।