कोरोना के खिलाफ चल रहे युद्ध में मेरे प्रदेश छत्तीसगढ़ से एक सुखद-सकारात्मक समाचार। बधाई! तीन और मरीज पूरी तरह से ठीक होकर अस्पताल से अपने घर पहुंच गए। यानी अब तक यहां संक्रमित कुल 9 मरीजों में 6 ने जिंदगी की जंग जीत ली। अब केवल तीन मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। उम्मीद है ये तीनों भी जल्द ही अपने परिजनों के बीच होंगे।
ये समाचार इस बात की सुखद अनुभूति कराता है कि मेरा छत्तीसगढ़ कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक मिसाल बनकर उभरा है। इसका पूरा श्रेय छत्तीसगढ़ सरकार की कोशिशों और एम्स मेडिकल स्टाफ की कर्त्तव्यपरायणता और सेवाभाव को जाता है। साधुवाद!
मुख्यमंत्री के तौर पर भूपेश बघेल ने कोरोना से लड़ने में जो काम किया है, वो वाकई प्रभावित करने वाला है। दलीय पूर्वाग्रह और कटुता को दरकिनार करके केंद्र के साथ परस्पर समन्वय स्थापित करके उठाए गए कदमों का ही नतीजा है कि एक ओर जहां देश के बाकी राज्यों में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है, छत्तीसगढ़ में वो खात्मे की करीब आ चुकी है।
दरअसल, भूपेश बघेल ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए समय रहते ही आसन्न खतरे को भांप लिया था। उन्होंने दो स्तरों पर एक साथ काम किया। पहला जब बाकी प्रदेश कोरोना को रोकने के लिए उपाय तलाश रहे थे, यहां छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन लागू किया जा चुका था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनता कर्फ्यू वाले ट्वीट को रिट्वीट करके उन्होंने इसे सफल बनाने की अपील भी की। दूसरा अहम कदम ये रहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना के फैलाव पर रोकथाम के साथ ही लॉकडाउन की वजह से पेश आने वाली दिक्कतों के त्वरित उपाय तलाशते हुए कई रियायतों की घोषणा की।
सबसे बड़ी बात ये रही कि भूपेश बघेल ने खुद फील्ड में उतर कर मोर्चा संभाला। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा भूपेश बघेल ही वो मुख्यमंत्री नजर आए जिन्होंने मैदान में उतर कर कमान संभाली। हालात और सरकारी इंतजामों को उन्होंने मौके पर पहुंच कर परखा।
अब बस उस दिन का इंतजार है, जब छत्तीसगढ़ के साथ ही पूरा देश भी कोरोना मुक्त हो जाए। इसके लिए बस हमें लॉकडाउन का पालन करना है। साथियों, लॉक डाउन खत्म होने में अब केवल आठ दिन ही तो बाकी हैं। तो बने रहिए अपने-अपने घरों में।
सौरभ तिवारी
डिप्टी एडिटर, IBC24
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