Lab leak theory : कोरोना को संक्रामक बनाया गया ताकि ये तेजी से इंसानों में फैले, लैब लीक थ्योरी के पक्ष में हैं इस रिपोर्ट के दावे.. आप भी समझिए | Lab leak theory : Corona was made infectious so that it spreads rapidly to humans, the claims of this report are in favor of lab leak theory

Lab leak theory : कोरोना को संक्रामक बनाया गया ताकि ये तेजी से इंसानों में फैले, लैब लीक थ्योरी के पक्ष में हैं इस रिपोर्ट के दावे.. आप भी समझिए

Lab leak theory : कोरोना को संक्रामक बनाया गया ताकि ये तेजी से इंसानों में फैले, लैब लीक थ्योरी के पक्ष में हैं इस रिपोर्ट के दावे.. आप भी समझिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : June 11, 2021/3:25 am IST

Lab leak theory : दिल्ली। देश, दुनिया में कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है। लाखों लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। लेकिन इस वायरस की उत्पत्ति को लेकर अब भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कोरोना की उत्पत्ति प्राकृतिक थी या यह लैब में तैयार किया गया? इसे लेकर वैज्ञानिकों में अभी भी अलग-अलग राय हैं।

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वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि इसके लैब में तैयार किए जाने के प्रमाण नहीं हैं तो इसके प्राकृतिक रूप से पैदा होने के तथ्यों की पुष्टि भी अभी नहीं हुई है। इस बीच नेचर में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में आशंका जाहिर की गई है कि वायरस को इंसानों में तेजी से फैलने के अनुरूप खासतौर पर तैयार किया गया हो सकता है।

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इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 में कई असामान्य गुण हैं। इसमें जेनेटिक सिक्वेंस सिग्नलिंग का एक फीचर है जो इसके मानव निर्मित होने की आशंका पैदा करता है। इसमें कोशिका के भीतर प्रोटीन को निर्देशित किया जा सकता है। जबकि आमतौर पर इस प्रकार के वायरस में पाए जाने वाले प्रोटीन में सिक्वेंस सिग्नल नहीं होते हैं।

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रिपोर्ट में आशंका जाहिर की गई है कि ऐसा लगता है कि इसे इस प्रकार से तैयार किया गया है कि यह एक इंसान से दूसरे इंसान में तेजी से फैले। सिक्वेंस सिग्नल के अलावा वायरस की फुरिन क्लीविज साइट भी मानव निर्मित प्रतीत होती है। कैलिफोर्निया के वायरोलाजिस्ट क्रिश्चयन एंडरसन के अनुसार फुरिन क्लीविज साइट एक ऐसा गुण है जो वायस को मानव कोशिका में प्रवेश के लिए जिम्मेदार माना गया है। फुरिन साइट कोविड-19 के स्पाईक प्रोटीन में है।

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वायरस के प्राकृतिक होने के प्रमाण अभी भी नहीं मिले हैं। वायरस का जीनोम हार्सशू प्रजाति के चमगादड़ से 96 फीसदी मिलता है। लेकिन यदि यह चमगादड़ से इंसान में आया है तो यह ज्यादा मिलना चाहिए। इसलिए जो वैज्ञानिक इसे प्राकृतिक मानते हैं, उनका दावा है कि यह पहले चमगादड़ से किसी दूसरे जानवर में गया और वहां से इंसान में आया। अब तक 80 हजार संदिग्ध जानवरों के जीनोम की जांच की जा चुकी है लेकिन यह पता नहीं लग पाया है कि वह जानवर कौन है।

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हालांकि यह पता लगाना काफी समय गंवाने वाला कार्य है। लेकिन जब तक यह पता नहीं चलता है तब तक इसकी प्राकृतिक उत्पत्ति को भी स्वीकार नहीं किया जा सकता। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि पहले भी कोरोना वायरस में यह साइट देखी गई है लेकिन कोविड-19 में वे सभी फीचर एक साथ दिख रहे हैं जो उसे ज्यादा संक्रामक बनाते हैं। यह सिर्फ एक संयोग नहीं हो सकता है। वायरस के न्यूक्लियोटाइड में अनेक संयोजन भी इस प्रकार के संकेत करते हैं।

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