दुर्ग/रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल जमीन कब्जे विवाद पर घिरते नजर आ रहे हैं। बघेल और उनके परिवार पर जमीन कब्जे मामले में कोर्ट का फैसला आया है। जिसमें पीसीसी अध्यक्ष के पिता नंदकुमार बघेल के परिवाद को खारिज कर दिया। जिसमें उन्होंने 20 एकड़ जमीन को पैतृक बताया था।
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उल्लेखनीय है कि जोगी कांग्रेस के नेता विधान मिश्रा ने बघेल और उनके परिवार पर सरकारी जमीन पर कब्जे का आरोप लगाया था। जिसके बाद से इस पर राजनीति तेज हो गई थी। सरकार ने भी इस मामले में जांच के आदेश दिए थे। कुरूदडीह में बघेल और उनके परिवार के कब्जे वाली जमीन की नाप जोख भी हुई थी।
कोर्ट ने जिस मामले में फैसला सुनाया है वह भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल से जुड़ी है। उन्होंने परिवाद में कहा था कि उसके पिता स्व. खोमनाथ बघेल ग्राम कुरुदडीह में पटवारी हल्का नंबर 64 के मालगुजार थे। 1973 में उनके निधन के बाद भी 20 एकड़ भूमि का उपयोग वे करते आ रहे है। चकबंदी के दौरान हुई गड़बड़ी के कारण रिकार्ड से उनका नाम गायब हो गया। वर्तमान में उक्त जमीन उनके कब्जे में है और उसका उपयोग वे कर रहे हैं। इसलिए रिकार्ड को सुधार कर जमीन को उनके नाम पर करने की अनुमति दी जाए।
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परिवादी नंदकुमार का कहना था कि खसरा नंबर 83 का टुकड़ा 8.202 हेक्टेयर (20 एकड़) भूमि वर्तमान में शासकीय भूमि के रुप में दर्ज है। मालगुजार उन्मूलन के पहले कास्तकारी होती थी। वर्ष1969 में चंकबंदी होने के पूर्व खसरा नंबर 83 विभिन्न खसरा नंबर बंटा हुआ था। चकबंदी के बाद उक्त सभी खसरा नंबर की भूमि खसरा नंबर 83में समाहित हुआ है। यह विवरण फेहरिस्त में उल्लेखित है। इसके बाद भी राजस्व अधिकारी रिकार्ड दुरुस्त नहीं कर रहे हैं।
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न्यायाधीश ने फैसले में कहा है कि परिवादी वाद प्रमाणित करने में असफल रहे। अत: संस्थित व्यवहार वाद में निम्न लिखित डिक्री पारित की जाती है। वादी का वाद निरस्त किया जाए। उधर, इस मामले में परिवादी के वकील आशीष तिवारी ने कहा है कि कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जाएगी।
वेब डेस्क, IBC24
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