छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिव मामले में आज लंबी बहस पूरी हो गयी है। और अब आगे इस मामले में प्रोग्रेस ये है कि हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.आपको बता दें कि इस मामले में लंबे इंतजार के बाद भी फैसला अटका हुआ था। आज दोपहर हाईकोर्ट में संसदीय सचिव मामले में बहस पूरी हो गयी। इस मामले में हाईकोर्ट अब अपना फैसला बाद में सुनाएगी .ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में 11 संसदीय सचिवों की नियुक्ति मामले में मोहम्मद अकबर और राकेश चौबे ने जनहित याचिक लगायी थी जिसमें उन्होंने नियुक्ति को गलत बताया था। लंबी चली बहस के बाद आज कोर्ट में संसदीय सचिवों की नियुक्ति मामले में बहस पूरी हो गयी.
ये भी पढ़े – पंचायती राज की ताकत के समक्ष झुकी सरकार-अमित जोगी
शुक्रवार को हुए इससे पहले मामले की सुनवाई में महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा की बहस पूरी हो गयी थी। याचिकाकार्ताओं और शासन दोनों ही पक्ष की बहस पूरी हो चुकी थी। जिसके बाद चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन और जस्टिस शरद कुमार गुप्ता की युगलपीठ ने आज सुनवाई पूरी करते हुए फैसले को सुरक्षित रख लिया।मामले में 10 संसदीय सचिवों की ओर से जवाब पेश किए गए। एक संसदीय सचिव की ओर से मामले में सोमवार को भी सुनवाई सुनवाई हुई। बता दें कि छत्तीसगढ़ में 11 संसदीय सचिवों की नियुक्ति हुई है। मामले में पिछले चार दिनों से सुनवाई चल रही है.
इस मामले में क्या है कानून
संविधान के अनुच्छेद 103 (11) के तहत सांसद अथवा विधायक ऐसे किसी और पद पर नहीं रह सकते, जहां वेतन या अन्य फायदे हो रहे हों. अनुच्छेद 191(11) जनप्रतिनिधि कानून की धारा 9 ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के तहत यह जनप्रतिनिधियों को किसी किस्म का लाभ लेने से रोकती है.
ये भी पढ़े – वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से युक्त होगा छत्तीसगढ़ का ऑक्सी रीडिंग जोन
कौन-कौन है ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे मेंराज्य सरकार ने विधायक राजू सिंह क्षत्रिय, तोखन साहू, अंबेश जांगड़े, लखन लाल देवांगन, मोतीलाल चंद्रवंशी, लाभचंद बाफना, रूपकुमारी चौधरी, शिवशंकर पैकरा, सुनीति राठिया, चंपा देवी पावले और गोवर्धन सिंह मांझी को संसदीय सचिव बनाया है.
वेब टीम IBC24