कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा से मिलता है मनवांछित फल, श्रीराम के वनवास का साक्षी है ये स्थान | Desire results from the orbiter of Mount Kamadgiri This place is witness to Shriram's exile

कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा से मिलता है मनवांछित फल, श्रीराम के वनवास का साक्षी है ये स्थान

कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा से मिलता है मनवांछित फल, श्रीराम के वनवास का साक्षी है ये स्थान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : April 22, 2020/1:36 pm IST

धर्म। चित्रकूट, मंदाकिनी नदी के किनारे बसा भारत के सबसे प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है। कहा जाता है जहां जाकर चित्त की आकांक्षाएं समाप्त हो जाए हो जाएं वह चित्रकूट है। चित्रकूट वो पावन स्थान है जिसके पहाड़ों में बसते हैं भगवान राम, सीता और लक्ष्मण । इस धरा की नदियों के जल में हैं राम ..जिनमें कभी राम ने स्नान किया तो कभी पिता को तर्पण किया..यहां की हवाओं में राम की भक्ति की गूंज है। चित्रकूट के ऐसे ही पावन स्थान पर स्थित है कामदगिरी

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त्रेता युग में जब दशरथ पुत्र भगवान श्रीराम…मां सीता व भ्राता लक्ष्मण सहित 14 वर्ष के वनवास के लिए निकले, तो वाल्मीकि ऋषि से पूछने लगे कि…साधना के लिए उत्तम स्थान कहां है,और हमे कहां निवास करना चाहिए। इस पर वाल्मीकि ऋषि ने कहा कि आप तीनों चित्रकूट गिरि जाएं, वहां आपका सर्व प्रकार से कल्याण होगा। ऋषि वाल्मीकि की आज्ञा पर श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट पहुंच गए…और चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत पर निवास करने लगे। बता दें कि कामदगिरि पर्वत को चित्रकूट गिरि भी कहते हैं।

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कामदगिरी पर्वत की विशेषता है कि इसके चार प्रमुख द्वार, चार अलग-अलग दिशाओं में हैं। यहां से निकलने के लिए उत्तर, पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में एक-एक द्वार बनाए गए थे। जंगलों से घिरे इस पर्वत के तल पर अनेक मंदिर बने हुए हैं। चित्रकूट के लोकप्रिय कामतानाथ और भरत मिलाप मंदिर भी यहीं स्थित हैं । कहा जाता है जब भगवान श्रीराम यहां से जाने लगे तो चित्रकूट पर्वत ने उनसे कहा, ”प्रभु आपने तो यहां वास किया है इसलिए अब यह भूमि पवित्र हो गई है लेकिन आपके जाने के बाद हमें कौन पूछेगा।” इस पर श्रीराम ने उन्हें वरदान देते हुए कहा, ”अब आप कामद हो जाएंगे यानी इच्छाओं की पूर्ति करने वाले बन जाएंगे। जो आपकी शरण में आएगा उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और उस पर हमारी भी कृपा बनी रहेगी।”

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जब श्रद्धालुओं की कोई मुश्किल कामना पूरी होती है तो वो परिक्रमा भी कठिन करते है पूरे मार्ग की परिक्रमा लेट लेट कर लगाते हैं।

कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा करने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है और इसकी पवित्रता की वजह से ही हमेशा यहां आने वाले सैलानियों की भीड़ लगी रहती है। दूर-दूर से लोग यहां अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए आते हैं। कामदगिरी की परिक्रमा से ना केवल राम की कृपा मिलती है बल्कि एक साथ दो राज्यों में भ्रमण करने का मौका भी मिलता है, आधी परिक्रमा मध्यप्रदेश तो आधी उत्तरप्रदेश में होती है। परिक्रमा पथ में अब बहुत सी सुविधाएं भी दी गई हैं पक्का पथ,शेड,व्हील चेयर के अलावा कई जगह भंडारे भी होते रहते हैं जिससे लोगों को गरम गरम प्रसाद भी मिल जाता है। इसके अलावा भक्ति के कई रंग परिक्रमा के दौरान देखने को मिलते हैं।

अगर आप कामद गिरी की परिक्रमा करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको चित्रकूट पहुंचना होगा जिसके लिए आप ट्रेन से सतना या कर्वी पहुंच सकते हैं हवाई यात्रा अगर आप करना चाहें तो निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो है इसके अलावा आप बस या निजी वाहन से पहुंच सकते हैं।