किसानों के लिए रोल मॉडल बने दिशांत सिंह बघेल, मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर कर रहे खेती | Dishant Singh Baghel became a role model for farmers, abandoning hefty salary jobs and doing farming

किसानों के लिए रोल मॉडल बने दिशांत सिंह बघेल, मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर कर रहे खेती

किसानों के लिए रोल मॉडल बने दिशांत सिंह बघेल, मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर कर रहे खेती

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:55 PM IST, Published Date : March 6, 2021/12:00 pm IST

सतना: जिले के इटमा गांव निवासी दिशांत सिंह बघेल बड़े पैकेज वाली नौकरी को छोड़कर किसान बने और उन्नत तकनीकी से खेती करते हुए जिले के किसानों के लिए रोल मॉडल बन कर उभरे हैं। बघेल खेती के साथ ही उद्यानिकी फसलों को तो ले ही रहे हैं, साथ ही मुर्गी, मछली, बकरी और बतख पालकर हर साल लाखों रुपए कमा रहे हैं। झींगा पालन के मामले में भी उनका नाम देश में लिया जा रहा है। उनकी इसी ख्याति और उपलब्धि के कारण विगत दिवस चित्रकूट में आयोजित नानाजी देशमुख पुण्यतिथि कार्यक्रम में राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख उत्कृष्ट कृषक सम्मान ‘युवा उद्यमी पुरस्कार’ से उन्हें सम्मानित किया गया।

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इटमा निवासी वरिष्ठ समाजसेवी व प्रगतिशील किसान रणवीर सिंह (हीरा जी) के पुत्र निशांत सिंह बघेल की रुचि शुरू से ही कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने की रही है। पढ़ाई पूर्ण करने के उपरांत एमएनसी कंपनी में उन्हें अच्छे पैकेज पर नौकरी मिल गई। दिशांत सिंह ने कंपनी में काम करना प्रारम्भ भी कर दिया। लेकिन बड़ा पैकेज होने के बावजूद उनका मन ज्यादा समय तक कंपनी के काम मे नही लगा। दिशांत को पिता हीरा सिंह से आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा मिली थी। वे अपने पिता के सपने को साकार भी करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़कर आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए गांव में ही रहकर खेती के साथ-साथ मुर्गी, मछली, बकरी और बतख पालन का कार्य शुरू कर दिया। उनके द्वारा जिले में झींगा पालन की सफलतापूर्वक शुरुआत करने को भी देश में सराहा जा रहा है।

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बघेल ने पिछले साल कोरोना काल के दौरान बेरोजगार हुए गांव के युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराये थे। इसके लिए उन्होंने युवाओं को प्रशिक्षण भी प्रदान किया था। दिशांत सिंह बघेल स्थानीय कृषकों को कृषि की उन्नत तकनीकी का उपयोग करने तथा शासन की योजनाओं का लाभ लेकर खेती को मुनाफे का धंधा बनाने के लिए जागरूक भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि कृषि के साथ-साथ डेयरी, मछली पालन, उद्यानिकी और पशु-पक्षी पालन की सहायक गतिविधियां अपनाकर खेती को लाभ का धंधा आसानी से बनाया जा सकता है।

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