बीजेपी का डैमेज कंट्रोल करने में जुटी आरएसएस, अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारियों को दिया लोकसभा का प्रभार | election 2019: RSS involved in the election of MP

बीजेपी का डैमेज कंट्रोल करने में जुटी आरएसएस, अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारियों को दिया लोकसभा का प्रभार

बीजेपी का डैमेज कंट्रोल करने में जुटी आरएसएस, अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारियों को दिया लोकसभा का प्रभार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:18 PM IST, Published Date : April 3, 2019/8:38 am IST

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद लोकसभा में बीजेपी की साख बचाने की जिम्मेदारी फिर संघ के जिम्मे है। आरएएस ने लोकसभा के सियासी समीकरणों को समझते हुए प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर अपने पदाधिकारियों की ड्यूटी लगाई है। लोकसभा चुनाव को लेकर अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी मोर्चा संभाल लिया है।
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इसके लिए संघ ने अपने तमाम अनुषांगिक संगठनों से पदाधिकारियों को चुनकर लोकसभा का प्रभार दिया है। इनमे रीवा में विद्या भारती से संतोष अवधिया सागर में विभाग कार्यवाह डॉक्टर संतोष भार्गव दमोह में किसान संघ से भरत सिंह सीधी में जिला संघ चालक पुष्पराज सिंह सतना में प्रान्त संघ चालक उत्तम बनर्जी शहडोल में विभाग कार्यवाह अजय दास मंदसौर विभाग प्रचारक योगेश शर्मा को जिम्मेदारी दी गई है। इन सभी प्रभारियों को जिम्मा दिया गया है कि वह अपने अपने क्षेत्रों में नेताओं के बीच समन्वय बनाए। साथ ही सौ प्रतिशत मतदान के लिए भी इन्हें जिम्मेदारी दी गई है। जिम्मेदारी मिलने के बाद यह तमाम लोकसभा प्रभारी क्षेत्र में अपनी अपनी टीमें बनाकर जनसंपर्क में जुड़ गए हैं।
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इसके साथ ही संघ राष्ट्रवादी मुद्दों पर अधिक से अधिक मतदान कराने के लिए मतदाता जागरूकता अभियान भी चला रहा है। संघ की इस सक्रियता को डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल जिन क्षेत्रों में नेताओं के बीच समन्वय नहीं बन पा रहा है या फिर टिकट वितरण के बाद बीजेपी का विरोध हो रहा है, उन क्षेत्रों में समन्वय बनाने की जिम्मेदारी अब संघ ने अपने कंधे पर ले ली है।हालांकि संघ खुले तौर पर इसे चुनावी सजावट नहीं मान रहा बल्कि संघ का कहना है कीआरएसएस जागरूकता अभियान चला रहा है।दरअसल, इस मुहिम में संघ से जुड़े अनुषांगिक संगठनों के ज्यादातर बड़े नाम शामिल है। जो हर लोकसभा सीट पर जाकर एक और बीजेपी के पक्ष में माहौल तैयार करेंगे तो दूसरी और विधानसभा में हार की सबसे बड़ी वजह भीतरघात और बगावती सुरों को साधने की कोशिश करेंगे।