सारा जीवन जब अंधकार में बीता हो, उसके लिए रोशनी के मायने क्या होते हैं, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है । सतपुड़ा की दुर्गम पहाड़ियों में बसे सावरी गांव के आदिवासियों ने जब अपने गांव में रोशनी देखी तो उनके चेहरे खिल उठे और बिजली न होने की वजह से पढ़ाई छोड़ चुकी आदिवासी बेटियों के मन में एक बार फिर से पढ़ने की चाह दिखी। IBC24 की टीम ने भी दुर्गम रास्ते को पार कर गांव में जाकर इस पूरे नज़ारे को कैद किया ।
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नरसिंहपुर के एक दुर्गम गाँव जो ऊंची पहाड़ी पर बसा है, घना सतपुड़ा का जंगल ऊबड़खाबड़ रास्ते से पैदल बमुश्किल गाँव तक पहुंच पाना संभव हो पाता है, क्षेत्र के विधायक ने जैसे ही बिजली की बटन दबाया ऐसा लगा, जैसे यहां सिर्फ घरों में ही नहीं, लोगों का जीवन मे उजियारा हो गया हो, चेहरे खिल उठे, बच्चे बल्ब की रोशनी को निहार रहे थे, आदिवासी टोला के लोगो के लिए बिजली आना किसी सपने से कम नही था। बच्चों की तो जैसे दुनिया आबाद हो गई,अब उनकी पढ़ाई में में अंधेरा रुकावट नहीं बनेगा । गाँव की बच्चियों ने ढोलक मंजीरे बजाकर बिजली का स्वागत किया ।
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तकरीबन 2 करोड़ की लागत से प्रधानमंत्री की दीनदयाल ग्रामीण ज्योति योजना के तहत यहां बिजली पहुंचाई गई है, विधायक भी इसे अपने जीवन का सबसे बड़ा प्रयोजन बता रहे हैं। वहीं एमपीईबी के वरिष्ट अधिकारी इसे एक कठिन चुनौती भरा काम बताया पर उस खुशी को बयां किया, जब बिजली आने के बाद गांव वालों के चेहरे पर इन्होंने देखी ।
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बिजली क्या होती है ये हमें तब पता चलता है जब कुछ देर के लिए पावर कट होता है। अब समझ सकते हैं, गांव वालों की उस खुशी को जिसे उन्होनें आजादी के इतने सालों बाद महसूस किया है । इनकी आंखों की चमक रोशनी मायने बयां करती है।
वेब डेस्क, IBC24
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