इतने सालों से नहीं खरीदी गई प्रदेश में बिजली, फिर कहां गए 6 हजार करोड़ रूपये, एक और घोटाला! जानिए | madhya pradesh electricity scam , Electricity was not purchased in the state, where did the 6 thousand crore rupees go, another scam! Learn

इतने सालों से नहीं खरीदी गई प्रदेश में बिजली, फिर कहां गए 6 हजार करोड़ रूपये, एक और घोटाला! जानिए

इतने सालों से नहीं खरीदी गई प्रदेश में बिजली, फिर कहां गए 6 हजार करोड़ रूपये, एक और घोटाला! जानिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:53 PM IST, Published Date : August 14, 2019/7:54 am IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछली बीजेपी सरकार के दौरान सरकार की लापरवाही और मनमानी के चलते बिजली महकमे ने सूबे के खजाने को 6 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाया गया है। ताजुक की बात ये है कि प्रदेश सरकार और उसकी बिजली कंपनियों ने पिछले 9 साल के दौरान एक यूनिट बिजली नहीं ली और निजी कंपनियों को 6 हजार करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। यही वजह है कि सरकार द्वारा हजारों करोड़ों की मदद देने के बाद भी प्रदेश की बिजली कंपनियां घाटे से उबरने के बजाय घाटे में चली गई है।

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कांग्रेस सरकार इस मामले में श्वेत पत्र लाने की तैयारी में है। मध्यप्रदेश में बिजली खरीद में करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है। यह घोटाला पिछली सरकार में ही उस समय उजागर हुआ जब प्रदेश की बिजली कंपनियों ने अपनी वार्षिक राजस्व आवश्यकता रिपोर्ट विद्युत नियामक आयोग के सामने रखी थी। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की बिजली कंपनियों ने अन्य बिजली उत्पादक कंपनियों को पिछले 3 साल में 6 हजार 626 करोड़ रुपए का भुगतान किया है, जबकि उनसे एक भी यूनिट की बिजली नहीं खरीदी गई।

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इस हालात के चलते गुजरात, महारष्ट्र और दिल्ली की तुलना में मध्यप्रदेश में मंहगी बिजली मिल रही है। लिहाजा अब कमलनाथ सरकार ने श्वेत पत्र लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके माध्यम से सरकार आम आदमी को बताएगी की उसे मंहगी बिजली क्यों मिल रही है। साथ ही कांग्रेस इसकी जांच की बात भी कह रही है। वहीं मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियों ने बिजली उत्पादन कंपनियों से सबसे अधिक संख्या में पावर परचेज एग्रीमेंट कर रखा है। प्रदेश में पहले से ही पर्याप्त बिजली थी, इस कारण वर्तमान में बिजली क्षमता का उपयोग नहीं हो सका है। यहां तक की जिन कंपनियों के साथ एग्रीमेंट हुए थे उनसे भी बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी है।

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वहीं इस मामले में बीजेपी का कहना है की सरकार पहले वचन पत्र में सस्ती बिजली का वादा पूरा करे, और फिर जांच कराए। लिहाजा प्रदेश सरकार आम लोगों को जानकारी देगी की बीते 15 साल में बीजेपी शासन में किस तरह बिजली कंपनियों को 47 हजार करोड़ रुपए के घाटे और कर्ज में पहुंचाया गया। जबकि पिछले 9 साल के दौरान बिना बिजली खरीदे 6 हजार करोड़ रुपए का भुगतान कर कैसे प्रदेश को चूना लगाया गया है। (bhopal news) (madhya pradesh electricity scam)