जांजगीर। आज पर्यावरण दिवस है। देश और दुनिया के लोग पर्यावरण को सहेजने के लिए न जाने कितने बैनर-पोस्टर बनाकर बांटेंगे और टांगेंगे। साइकिलिंग करेंगे और पर्यावरण जागरूकता का संदेश देने की बात कहेंगे। लेकिन ऐसे दावों से दूर ऐसे कितने होंगे, जो वाकई इसे अपनी जिंदगी में उतार लेंगे। चलिए आज हम आपको एक ऐसे गांव की कुछ तस्वीरें दिखाते हैं, जिन्होंने खुद को हरे रंग में रंग लिया है। और हां… सिर्फ आज के लिए नहीं।
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गांव का स्कूल… आंगनबाड़ी केंद… ग्राम पंचायत भवन… जनपद पंचायत भवन और छोटी झोपड़ी हो या बड़ा पक्का मकान… साइकिल का पंचर बनाने की दुकान हो या फिर गांव का सामुदायिक भवन… सब कुछ हरा-हरा है। जांजगीर जिले के बम्हनीडीह इलाके के इस गांव का नाम अमरूआ है। इस गांव ने स्वच्छता के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने में मिसाल कायम की है। इस गांव का हर एक घर और सरकारी दफ्तर हरे रंग से लिपा-पुता है।
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जिले का पहला ग्रीन विलेज होने का गौरव हासिल करने वाला ये अमरूआ गांव जिले के दूसरे नंबर के ओडीएफ गांव भी है। लोगों ने घरों में शौचालय बनवा लिए हैं और खुद ही यहां किसी तरह के नशे पर रोक लगा रखी है। हर घर के सामने तुलसी के पौधे लगाए गए हैं। प्रशासनिक अफसर भी गांव की इस पहल की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।
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पर्यावरण संरक्षण के साथ ‘सामाजिक समरसता’ का संदेश देने के लिए अमरुआ के लोगों ने ये समझ लिया है कि जहां हरियाली है, वहीं खुशहाली है। मगर अब बाकी लोगों को भी पर्यावरण को लेकर जागरूक होना होगा, जो शायर कुछ यूं कहता है कि…
हरे शजर न सही, खुश्क घास रहने दो,
जमीं के जिस्म पर कुछ लिबास रहने दो
वेब डेस्क, IBC24
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