देपालपुर। कहावत है कि जिनका कोई नहीं होता है उसका भगवान होता है। और कई बार यह भी देखने को मिलता है कि जिनका पूरा परिवार होता है वो भी इतना कुछ नहीं कर पाते जो एक अर्ध विक्षिप्त महिला को मरने के बाद सम्मान मिला। वजह थी पूरे गांव के लोग उन्हें मां कहकर पुकारते थे।
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उनकी मौत के समय ही पूरे गांव में शोक की लहर देखने मिली थी। लेकिन उनकी तेरहवी में आज जो देखने मिला वो हिन्दू मुश्लिम एकता का साक्षात् उदहारण था।आज तेहरवीं के दिन भंडारे में करीब 15 हजार लोग शामिल हुवे जिनमे हिन्दू मुस्लिम महिला पुरुष बच्चे सब शामिल हुए । भंडारे में 5 तरह के पकवान बनाये गए थे। अर्ध विक्षिप्त महिला जिन्हें लोग नगर में संपत मां के नाम से पुकारते थे। उनकी मौत के बाद पूरे रीति रिवाज के साथ नगर के युवकों ने दशा कर्म करवा कर पूरे विधि विधान से शिप्रा मैया में उनकी अस्थि का विसर्जन किया था. जिसे देख कर जिसने भी सुना वह देपालपुर नगर की वाही वाही करता नजर आया। मां के तेरहवी कार्यक्रम में नगर के किन्नर परिवार के लोग भी शामिल हुए क्योंकि उन्होंने भी मां के चमत्कार देख रखे थे संपत मां की तहरीर में नगर के लोगों ने तन मन धन से सहयोग दिया।
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