निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को नहीं दी जाएगी फांसी, दोषी मुकेश की याचिका ने फंसाया पेंच | 'Execution of convicts(2012 Nirbhaya case) will surely not take place on January 22'

निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को नहीं दी जाएगी फांसी, दोषी मुकेश की याचिका ने फंसाया पेंच

निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को नहीं दी जाएगी फांसी, दोषी मुकेश की याचिका ने फंसाया पेंच

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:47 PM IST, Published Date : January 15, 2020/10:34 am IST

नई दिल्‍ली: निर्भया मामले में कोर्ट से डेथ वारंट जारी होने के बाद से पूरे देश को इस बात की उम्मीद थी कि अब उन्हें फांसी पर लटकाया जाएगा। कोर्ट के इस फैसले का पूरे देश ने स्वागत किया था। लेकिन निर्भया के दोषियों की फांसी पर एक पेंच आ गया है। बताया जा रहा है कि दोषियों को अब 22 जनवरी को फांसी देना मुश्किल हो गया है।

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इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट के सरकारी वकील राहुल मेहरा ने जानकारी देते हुए बताया कि किसी भी दोषी को दया याचिका खारिज होने के बाद फांसी दी जा सकती है। बता दें कि निर्भया के दोषी मुकेश ने दया याचिका लगाई है, जिसे दिल्ली कोर्ट हाई कोर्ट में पेश किया गया है। अब इस याचिका को एलजी के पास ले जाया जाएगा। अगर एलजी दया याचिका को खारिज कर देते हैं तो एक नया डेथ वारंट जारी किया जाएगा।

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राहुल मेहरा ने कहा कि 21 जनवरी की दोपहर को हम ट्रायल कोर्ट के जज के पास जाएंगे। अगर तब तक दया याचिका खारिज होती है तो भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 14 दिन की मोहलत वाला नया डेथ वारंट जारी करना होगा। यानी किसी भी सूरत में 22 जनवरी को तो डेथ वारंट पर अमल संभव नहीं है।

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मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि सबसे पहले मामले में 2017 में याचिका खारिज हुई थी। इसके बाद साल 2018 में पुनर्विचार याचिका लगाई गई, जो एक बार फिर खारिज हो गई। इस दौरान दया याचिका क्यों नहीं लगाई? 2017 से 2020 तक आप केस को टालते रहे, लेकिन डेथ वारंट जारी होते ही आप एक नया याचिका ले​कर हाजिर हो गए। इस बता से तो यही लगता है कि आप केस को लटकाना चाहते हैं। जैसे ही फांसी की तारीख आएगी फिर एक नई याचिका दायर कर दी जाएगी…।

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इस पर मुकेश की वकील ने याकूब मेनन केस का हवाला दिया। उन्‍होंने कहा कि उसकी ओर से अलग-अलग समय में दो-दो दया याचिका दाखिल की गई थी। पहली दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज होने के बाद उसे 14 दिनों की मोहलत मिली थी। राज्यपाल द्वारा दूसरी बार दया याचिका खारिज होने के बाद उसे ये 14 दिन का वक्त नहीं मिला।

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