रायपुरः मोदी सरकार के तीन काले कृषि कानून के विरोध में देशभर के किसान आंदोलनरत सड़कों पर हैं। देश की राजधानी दिल्ली कुच कर अपनी समस्या बताना चाहते हैं, लेकिन मगर भाजपा शासित राज्यों में उन्हें बलपूर्वक रोका जा रहा है। छत्तीसगढ़ के किसान भी इस काले कानून के खिलाफ आंदोलन के पश्चात लाखों की संख्या में विरोध स्वरूप पत्र केंद्र सरकार को एवं केंद्रीयकृषि मंत्री को लिख चुके हैं।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी वरिष्ठ प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने भाजपा मोदी केंद्र सरकार पर किसानों से झूठे वायदे कर सत्ता हासिल करने एवं तीन नए कृषि कानून को दमनकारी काला कानून बताया है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार की कृषि नितियों को तुलनात्मक रखते हुए कहा कि, मोदी सरकार ने देश के किसानों को वायदा किया था कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करेंगे, आय दुगनी करेंगे, किसानों को आय से अधिक 50 प्रतिशत लाभ देंगे, किसानों की लागत और मेहनत का उचित दाम देंगे। लेकिन यह सिर्फ झूठ प्रलोभन साबित हुआ और अब नए कृषि काले कानून से देश में किसान सड़कों पर हैं, कोहराम मचा हुआ है। तो वही दूसरी ओर प्रदेश में कांग्रेस भूपेश सरकार द्वारा किसानों का कर्जा माफी एवं 25 सौ रुपए से धान खरीदी जैसे कृषि हितकारी नीतियों से प्रदेश में किसानों को आर्थिक उन्नति तथा भविष्य को लेकर आराम है।
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किसानों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाना चाहती है भाजपा
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा की, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार ने किसानों के हित में नया मंडी कानून बनाया ह,ै जिससे किसानों के अधिकार न छीने जा सके। इससे भाजपा के पूंजीपति समर्थक और किसान विरोधी भाजपा नेताओं को पीड़ा है। भाजपा की नीति और नियत किसानों को पूंजीपतियों के गुलाम बनाने की है। मोदी सरकार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार को किसानों के धान को 2500 रु प्रति क्विंटल की दर में खरीदने से रोका। तब प्रदेश के किसान मजदूर व्यापारी गृहणियों बुद्धजीवी वर्ग ने 20 लाख पत्र प्रधानमंत्री को भेजकर विरोध किया था, आज भी मोदी सरकार के तीन नए किसान विरोधी मजदूर विरोधी आम उपभोक्ता विरोधी काला कानून के खिलाफ प्रदेश के पौने तीन करोड़ जनता में आक्रोश है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा की, भाजपा मोदी सरकार क्यों आखिर इतनी किसानों के प्रति क्रूर हो चली है। तीन नए काले कानून पर जब किसान लंबे समय से सड़कों पर हैं, तो संशोधन क्यो नही किया जा रहा है? जीएसटी, भूमि अधिग्रहण जैसे कानून में बदलाव किया गया, तो इसमें क्या अड़चन है? वैसे भी कोई भी कानून उक्त विषयो पर सरलता और सुगमता के लिए बनाये जाते हैं न कि उसे हठधर्मिता से लिया जाना चाहिए।