नई दिल्लीः मोदी सरकार के कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। पिछले 47 दिनों से पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों के किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर डटे हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने कल मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई है और आज अपना फैसला सुना सकती है। संभव है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार और किसानों के बीच जारी इस गतिरोध को दूर करने के इरादे से देश के किसी पूर्व प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर दे।
वहीं, दूसरी ओर किसानों ने कानून रद्द करने तक डटे रहने की बात कही है। एक प्रदर्शनकारी ने बताया, “अगर सरकार नहीं मानी तो लोहड़ी तो क्या हम होली भी यहीं मनाएंगे। हम सरकार से कहना चाहते हैं कि किसानों की तरफ ध्यान दे। यहां 51-52 लोग मर गए सरकार को उनकी फिक्र नहीं है।“
सुप्रीम कोर्ट से तो उम्मीद है मगर सरकार से उम्मीद नहीं है क्योंकि अगर सरकार चाहती तो यह फैसला अब तक हो गया होता।
हमारा हज़ारों ट्रैक्टरों का जत्था दिल्ली धरने में शामिल होगा और 26 जनवरी की परेड में भी शामिल होगा। हमारा जत्था 3 कानूनों को रद्द करवाकर ही वापस आएगा। फरीदकोट के ज़िला प्रधान बिंदर सिंह गोले वाला ने बताया, “उम्मीद है कि कोर्ट किसानों के पक्ष में और कानूनों को रद्द करने के लिए कोई फैसला लेगी। हमें बुराड़ी ग्राउंड में करीब 47 दिन हो गए।
कृषि कानूनों के खिलाफ बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में किसानों का प्रदर्शन जारी है।
फरीदकोट के ज़िला प्रधान बिंदर सिंह गोले वाला ने बताया, “उम्मीद है कि कोर्ट किसानों के पक्ष में और कानूनों को रद्द करने के लिए कोई फैसला लेगी। हमें बुराड़ी ग्राउंड में करीब 47 दिन हो गए।” pic.twitter.com/PzOOYhCRKT
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 12, 2021
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