खाद के लिए आधार अनिवार्य, किसान खेत छोड़कर दफ्तरों के लगा रहे चक्कर | Farmers Aadhar card Issue:

खाद के लिए आधार अनिवार्य, किसान खेत छोड़कर दफ्तरों के लगा रहे चक्कर

खाद के लिए आधार अनिवार्य, किसान खेत छोड़कर दफ्तरों के लगा रहे चक्कर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:56 PM IST, Published Date : May 30, 2018/2:39 pm IST

रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की अनिवार्यता भले ही खत्म कर दिया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में किसानों के आधार कार्ड परेशानी का कारण बन गया है। यहां खाद के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। जिससे किसान सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिधिंया ने इस पर बीजेपी सरकार पर निशाना भी साधा है। 

मानसून के पहले अचानक आधार कार्ड की अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बिना सरकारी दुकानों से ना तो यूरिया मिल रहा है और न ही जी-कोटेड यूरिया खाद। जिससे किसान समय पर अपनी फसल की बुआई नहीं कर पाए रहे हैं और वे खेत खलियान छोड़ आधार कार्ड बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों में घूम रहे हैं। 

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छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में विभिन्न सहकारी समितियों में पंजीकृत किसानों की संख्या 80 लाख के लगभग है। जबकि गैर पंजीकृत किसानों की संख्या 8 लाख से ज्यादा है। ऐसे में अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि पांच लाख से ज्यादा अभी भी ऐसे किसान है जिनके पास अपना आधार कार्ड नहीं है। ऐसे किसान मुसीबत में घिरते नजर आ रहे हैं। आधार कार्ड बनाने को लेकर उनके गांव में कोई बंदोबस्त भी नहीं है। उन्हें जिला मुख्यालय या ब्लॉक मुख्यालय का रुख करना पड़ रहा है। 

कृषि विभाग ने अचानक फरमान जारी किया है कि अब किसानों को बगैर आधार कार्ड के यूरिया मुहैया नहीं होगा। सरकारी दुकानों से उन्हें रियायती दरों पर मुहैया होने वाली खाद भी तब उपलब्ध होगी जब वे वहां अपना आधार कार्ड जमा कराएंगे

जिलों में रोजाना किसान कभी कलेक्टर के दफ्तर के तो कभी तहसील और ब्लॉक मुख्यालयों में दस्तक दे रहे हैं, लेकिन यहां आधार कार्ड नहीं बनाये जाने की जानकारी देकर उन्हें चलता कर दिया जा रहा है। कृषि विभाग की दलील है कि यूरिया की कालाबाजारी रूकेगी। कई इलाकों में बिचौलिए और मुनाफाखोर यूरिया का स्टॉक कर लेते हैं और किसानों को जरूरत पड़ने पर मुंह मांगी कीमत पर बेचते हैं। 

पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिंया ने ट्वीट किया है कि राज्य में मानसून के दस्तक देने में मात्र दो हफ्ते से भी कम का समय शेष बचा है। लिहाजा किसान पशोपेश में हैं। आखिर वो अचानक कहां से अपना आधार कार्ड लायें। हालांकि आधार कार्ड के अनिवार्य किये जाने के बाद किसान अपना खेत खलियान छोड़ सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे है।”

वेब डेस्क, IBC24

 
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