मछली पालन के लिए करें इस नई तकनीक का इस्तेमाल, होगी बंपर कमाई, शासन भी करेगी किसानों की मदद | biofloc fish farming hindi tutorial guide farmers income biofloc fish farming technology increases

मछली पालन के लिए करें इस नई तकनीक का इस्तेमाल, होगी बंपर कमाई, शासन भी करेगी किसानों की मदद

मछली पालन के लिए करें इस नई तकनीक का इस्तेमाल, होगी बंपर कमाई, शासन भी करेगी किसानों की मदद

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:51 PM IST, Published Date : October 20, 2020/12:06 pm IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बीते कुछ वर्षों में किसानों की आय बढ़ाने के लिए खेती के अलावा अन्य कृषि क्षेत्रों में ध्यान दिया है। सरकार ने पशु पालन, मत्सय पालन, दूध उत्पादन सहित अन्य कृषि क्षेत्रों के लिए कई योजनाएं भी शुरू की है। केंद्र सरकार की पहल के बाद अब राज्य की सरकारों ने भी इस ओर ध्यान दिया है। इसी कड़ी में जम्मू कश्मीर सरकार सूबे में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल करने जा रही है।

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दरअसल किसानों की आय बढ़ाने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने ‘बायोफ्लॉक’ तकनीक से मछली पालन को बढ़ावा देने का फैसला किया है। अधिकारियों के मुताबिक यह योजना किसानों और बेरोजगार नौजवानों के बीच इस नई तकनीक को बढ़ावा देने की है, ताकि उनके लिए आमदनी के नए जरिये बन सकें। बता दें कि बायोफ्लॉक तकनीक को मछली पालन में नई नीली क्रांति माना जा रहा है। यह मछली पालन का एक लाभदायक तरीका है और यह पूरी दुनिया में खुले तालाब में मछली पालन का बहुत अच्छा ऑप्शन बन गया है।

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क्या है बायोफ्लॉक तकनीक
बायोफ्लॉक तकनीक बीते कुछ दिनों में मछली पालन का नया सिस्टम बनकर सामने आया है। इस तकनीक से जहां पानी और चारे की कम खपत होती है तो मछली का उत्पादन भी अधिक होता है। बायोफ्लॉक तकनीक एक आधुनिक व वैज्ञानिक तरीका है। बयोफ्लाक सिस्टम से मछली पालन के लिए बड़े तालाब की जरूरत नहीं होती, ​बल्कि छोटे-छोटे टैंक बनाकर मछली का उत्पादन किया जा सकता है।

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वहीं, बायोफ्लॉक तकनीक में किसान को चारे का खर्चा भी कम आता है। इस तकनीकी में टैंक सिस्टम में बैक्टीरिया के द्वारा मछलियों के मल और अतरिक्त भोजन को प्रोटीन सेल में बदल कर मछलियों के खाने में बदल दिया जाता है। मछली जो भी खाती है उसका 75 फीसदी मल निकालती है और यह मल पानी के अंदर ही रहता है। उसी मल को शुद्व करने के लिए बायोफ्लॉक का इस्तेमाल किया जाता है। बायोफ्लॉक बैक्टीरिया होता है। ये बैक्टीरिया इस मल को प्रोटीन में बदल देता है, जिसको मछली खाती है। इस तरह से एकतिहाई फीड की बचत होती है।

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