भारत के पांचवे प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का आज जन्मदिन है आज ही के दिन बेहद ही गरीब परिवार में जन्मे चौधरी चरण सिंह हमेशा ग्रामीण सुधार और कृषि की उपयोगिता के लिए कार्य करते रहे इसलिए उनके जन्म दिन को किसान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि चौधरी जी को विरासत में पिता के नैतिक मूल्य और किसान का ह्रदय मिला था। बाबूगढ़ छावनी के निकट नूरपुर गांव, तहसील हापुड़, जनपद गाजियाबाद, कमिश्नरी मेरठ में काली मिट्टी के अनगढ़ और फूस के छप्पर वाली मढ़ैया में 23 दिसम्बर,1902 को जन्म लेने के बाद से ही चौधरी जी को संघर्ष करना पड़ा।
चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गये थे। यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के नन्हें ह्दय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ.
मैं किसान दिवस पर सभी किसान भाइयों का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। मेरा संकल्प है कि किसान भाइयों को कड़ी मेहनत का भरपूर फल मिले और 2022 तक उनकी आय दुगुनी हो जाए। #KisanDiwas pic.twitter.com/yzQRO1I5A7
— Dr Raman Singh (@drramansingh) December 23, 2017
हमेशा न्याय के लिए आवाज़ उठाने वाले चरण सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा प्राप्त की उसके बाद अपनी प्रेक्टिश शुरू किये गाजियाबाद में. उनकी सच के प्रति निष्ठा इतनी ज्यादा थी कि वे वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी उन्हीं मुकदमो को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था। स्वतंत्रता आंदोलन के समय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत् नमक कानून तोडने का आह्वान किया गया। आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिण्डन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया। 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चरण सिंह गिरफतार हुए फिर अक्टूबर 1941 में मुक्त किये गये।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं किसानों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले महान जन नेता चौधरी चरण सिंह जी की जयंती पर उन्हें शत् – शत् नमन। #KisanDiwas pic.twitter.com/yeApVGFrd9
— Radha Mohan Singh (@RadhamohanBJP) December 23, 2017
वो किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था. एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। वो 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दुबारा 17 फ़रवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की. 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [नाबार्ड] की स्थापना की. 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने.