सिंघु बार्डर छोड़कर लौटने लगे किसान, प्रदर्शनकारियों की संख्या में बड़ी गिरावट, क्या है वजह जानिए | Farmers started leaving Singhu Border, there is a big decline in the number of protesters, what is the reason to know

सिंघु बार्डर छोड़कर लौटने लगे किसान, प्रदर्शनकारियों की संख्या में बड़ी गिरावट, क्या है वजह जानिए

सिंघु बार्डर छोड़कर लौटने लगे किसान, प्रदर्शनकारियों की संख्या में बड़ी गिरावट, क्या है वजह जानिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:19 PM IST, Published Date : April 6, 2021/9:58 am IST

नईदिल्ली। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान अब सिंघु बार्डर छोड़कर पंजाब लौटने लगे हैं, इसकी वजह यह है कि इस समय गेहूं की फसल पक कर तैयार है। कई जगह गेहूं की फसल की कटाई शुरू हो गई है तो कई जगह गेहूं मंडियों में खरीदा जा रहा है। इसके कारण प्रदर्शनकारियों की संख्या में एक बार फिर से गिरावट शुरू हो गई है।

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अभी भी जो लोग बचे हैं, वह या तो नेता हैं या उनके नजदीकी हैं जो चाह कर भी घर नहीं जा पा रहे हैं। इसलिए वह ट्रालियों या टेंट में बैठ कर समय काट रहे हैं। लेकिन मायूसी उनके चेहरों पर साफ दिखाई देती है। किसानों को रोक पाना अब काफी मुश्किल हो रहा है, नेताओं को मंच से कहना पड़ रहा है कि घर में चाहे कितना भी नुकसान हो जाए, चाहे फसल खेतों में ही बर्बाद हो जाए, वह यहां से नहीं जाएंगे।

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ऐसा तब हो रहा है जब बीते कई दिनों से कोई बड़ा नेता सिंघु बार्डर पर मौजूद नहीं है। न तो किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (पंजाब) के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू और न ही महासचिव सरवन सिंह पंधेर मंच पर पहुंच रहे हैं। अमृतसर व तरनतारन के गांवों के प्रदर्शनकारी यहां पर धरना दे रहे हैं। प्रदर्शन में हर 15 से 20 दिन के अंतराल पर लोग बदल रहे हैं। 15 दिन कुछ गांवों के लोगों की ड्यूटी यहां पर रहने के लिए लगाई जाती है तो 15 दिन दूसरे गांव के लोगों की।

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उधर किसानों के मुद्दों को लेकर गुजरात पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को किसानों का साथ नहीं मिला। गुजरात में राकेश टिकैत ने अपने दूसरे दिन की यात्रा की शुरुआत साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर की। उनके साथ कांग्रेस किसान संगठन तथा शंकर सिंह वाघेला के गिने-चुने कार्यकर्ता ही नजर आए। जिस अपेक्षा के साथ किसान नेता ने गुजरात आने की घोषणा की थी, उनकी यात्रा के दौरान किसानों में उतनी ही उदासीनता नजर आई।

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