प्रत्येक जिले के जिला एवं प्रशिक्षण केंद्र को शिक्षा का वो मंदिर माना जाता है जहां विद्यार्थी के अलावा शिक्षकों को भी बेहतर शिक्षा की तालीम दी जाती है जहां से एक आम व्यक्तित्व का बौद्धिक विकास होता है और यही से प्रशिक्षण प्राप्त कर ही वो शिक्षण कहलाता है पर ऐसे संस्थान की जब शराबखोरी के अड्डे बन जाये तो क्या विधार्थीओ का क्या शिक्षको भविष्य तय होगा इसकी आसानी से कल्पना की जा सकती है शिक्षा के मंदिर को शर्मशार करने वाली ये तस्वीरें नरसिंहपुर के जिला प्रशिक्षण केंद्र की है जहां कूड़ेदान और परिसर में एक दो नही बल्कि दर्जनों शराब की बोतलें पाई गई है जब मीडिया ने इन्हें कैमरे में कैद किया विभाग का एडमिनिस्ट्रेशन से लेकर चपरासी तक नए नए बहाने बनाते नजर आए और जब हमने विभागीय विकास परिषद के अधिकारी से बात करनी चाही तो वे अपनी जबाबदेही से पल्ला झाड़ते नजर आए।
विभागीय विकास परिषद अधिकारी जिला प्रशिक्षण केंद्र के प्राचार्य से जब हमने परिसर के अंदर शराबखोरी की बात कही तो पहले वे इसे सिरे से नकारते नजर आए पर जब हमने परिसर के इधर उधर बिखरी पड़ी शराब को बोतले उन्हें दिखाई तो उन्होंने पहले तो नई कहानी गाड़ते हुए उसमे मिट्टी का तेल लाये जाने की बात कही पर जब हमने बोलतो से आ रही शराब की दुर्गंध का अहसास कराया तो उन्होंने खुद स्वीकार किया है शायद यहाँ रात्रि में शराबखोरी होती है और इसका पूरा ठीकरा चैकीदार पर थोपते हुए और कार्यवाही की बात कह खुद की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
शिक्षा के इस मंदिर में शराबखोरी की घटना इसलिए और भी संवेदनशील हो जाती है कि यही परिसर में बने छात्रावास में सैकड़ो छात्र छात्राए रहकर शिक्षा अर्जित करते है ऐसे हाल में ये कृत्य किसी अन्य अपराध को भी जन्म दे सकता है वाबजूद इसके अधिकारी अपनी जबाबदेही से बचते नजर आ रहे है और अपने अधीनस्थ छोटे से कर्मचारी पर पूरा ठीकरा फोड़ रहे है पर यहां सवाल उठना लाजमी है कि शिक्षा के मंदिर के भगवान कहे जाने वाले विभागीयकर्मी ही जब शराबखोरी में लिप्त रहेंगे तो ऐसे में प्रशिक्षार्थियों को कितना ज्ञान दे पाएंगे ये बड़ी चिंता का विषय है।
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