राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के इस लोक कलाकार ने अपनी पूरी जिंदगी लोककला के मंच को दे दी। लेकिन अब पिछले कई साल से लकवा का शिकार होने के बाद बिस्तर पर हैं। कुछ दिनों पहले हालात और ज्यादा खराब हुए, तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। लेकिन हर लोक कलाकार की तरह जिंदगी की शाम में मुफलिसी के साथ वो सरकारी अस्पताल में भर्ती है। उसे इंतजार है कि सरकार कभी तो उसके जख्मों पर मरहम लगाएगी।
दर्द के बिस्तर में सरकारी अस्पताल में लेटा ये लोक कलाकार छत्तीसगढ़ी नाट्य कला जगत का वो सितारा है, जो अब अपनी कला की सारी रोशनी बिखेरकर पश्चिम की ओर ढलने जा रहा है। कभी मंच की चकाचौंध से भरी जिंदगी देखने वाला ये कलाकार, हजारों हाथ की तालियों से गुलजार रहने वाली महफिलों का सरताज मुफलिसी के बुरे दिन देखने के बाद अस्पताल में तनहाई के दिन गुजार रहा है।
राजनांदगांव के इस मशहूर लोक कलाकार का नाम दीपक तिवारी है, जिसने प्रख्यात रंगकर्मी हबीब तनवीर के साथ देश और विदेश में अपनी कला का लोहा मनवाया है। आज जिंदगी का सबसे बड़ा संघर्ष अकेले लड़ रहा है। दीपक की पत्नी पूनम विराट ने नाचा का रंग पूरी दुनिया को दिखाया, लेकिन उनकी जिंदगी में आजकल सारे रंग उड़े हुए हैं। साल 2008 में लकवे का शिकार हुए दीपक तिवारी राजनांदगांव के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती हैं। इलाज में सारी जमा पूंजी खर्च हो गई। हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं।
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छत्तीसगढ़ की लोककला और संस्कृति को सहेजने सरकार लाखों, करोड़ों का बजट रखती है। उन पर खर्च भी करती है। लेकिन सबसे ज्यादा जरूरत इन लोककलाओं को अपनी सांसों में समेटे ऐसे कलाकारों की सुध लेने की है ताकि दीपक तिवारी जैसे मिट्टी की महक से सराबोर कलाकार की सांसें बची रहें और रंगकर्मी की दुनिया में भी कुछ रंग बाकी रहें।
वेब डेस्क, IBC24
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