नई दिल्ली। सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधित करने को संसद ने मंजूरी दे दी है। 10 घंटे की चर्चा के बाद कल रात में राज्यसभा ने 124वां संविधान संशोधन बिल पारित कर दिया। इसके समर्थन में 165 और विरोध में सिर्फ 7 वोट पड़े। लोकसभा एक दिन पहले ही इसे 99 फीसदी बहुमत से पारित कर चुकी है। अब ये बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा। राज्यसभा में 29 दलों में से 27 ने समर्थन, जबकि दो दलों ने विरोध किया।
विपक्ष की ओर से सुझाए गए पांच संशोधन प्रस्ताव भी खारिज हो गए। चार केंद्रीय मंत्रियों सहित 36 सदस्य बिल पर चर्चा में शामिल हुए। चर्चा के दौरान राज्यसभा में 29 पार्टियों के 244 सांसद मौजूद रहे। दोनों सदनों से बिल पास हो चुका है। अब इस पर राष्ट्रपति दस्तखत करेंगे। उनके दस्तखत होते ही संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान जुड़ जाएगा। मोदी सरकार का दावा है कि बिल आरक्षित वर्गों को अभी तक दिए जा रहे 49.5 फीसदी कोटे पर कोई असर नहीं डालेगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने बिल के संसद में पास होने के बाद रात में ट्वीट किया कि खुशी है कि इस बिल को व्यापक समर्थन मिला।
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केंद्र सरकार के मुताबिक इस बिल को देश के आधे राज्यों की विधानसभाओं से पास कराने की जरूरत नहीं है। कुछ विपक्षी सदस्यों ने इस पर सवाल उठाए। बिल पर बहस के दौरान मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस आदि दलों ने इस विधेयक को पेश करने के समय पर सवाल उठाया और इसे राजनीति से प्रेरित कदम करार दिया। सरकार के मंत्रियों ने सभी आलोचनाओं को खारिज करते हुए इसे ऐतिहासिक कदम करार दिया।
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राज्यसभा में बिल पर बहस के दौरान कुछ विपक्षी दलों के विरोध पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जनरल कैटिगरी के गरीबों को 10 पर्सेंट आरक्षण केंद्र और राज्य दोनों तरह की सरकारी नौकरियों पर लागू होगा। राज्यों को अधिकार होगा कि वे इस आरक्षण के लिए अपना आर्थिक क्राइटेरिया तय कर सकें। विधेयक के कोर्ट की परीक्षा में ठहर न पाने की आशंकाओं को खारिज करते हुए रविशंकर ने कहा कि आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा संविधान में नहीं लगाई गई है।
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