गुजरात हाईकोर्ट 2002 गोधरा कांड मामले में अपना अहम फैसला सुनाया. मामले में 1 मार्च 2011 को 31 लोगों को दोषी करार दिया गया था, जिसमें में 11 दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई गई थी. हाईकोर्ट ने सोमवार को सभी 11 दोषियों को उम्र की सज़ा सुनाई है.
आपको बतादें 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन में साबरमती एक्सप्रेस के S-6 कोच को आग के हवाले कर दिया गया था. इस घटना में 59 लोगों की मौत हो गई थी. सभी कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे.
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एसआईटी की विशेष अदालत ने एक मार्च 2011 को इस मामले में 31 लोगों को दोषी करार दिया गया था, जबकि 63 को बरी कर दिया था, 11 दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई गई थी. को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। बाद में उच्च न्यायालय में कई अपीलें दायर कर दोषसिद्धी को चुनौती दी गई जबकि राज्य सरकार ने 63 लोगों को बरी किए जाने को चुनौती दी है।
गोधरा कांड का मुख्य आरोपी फारुक भाणा गिरफ्तार
3 मार्च 2002: ट्रेन जलाने के मामले में गिरफ्तार किए लोगों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अध्यादेश यानि पोटा लगाया गया हालांकि उसे बाद में हटा भी लिया गया था।
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6 मार्च 2002: सरकार ने ट्रेन में आग लगने और उसके बाद हुए दंगों की जांच करने के लिए एक आयोग नियुक्त किया।
18 फरवरी 2003: एक बार फिर आरोपियों के खिलाफ आतंकवाद संबंधी कानून लगा दिया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई भी न्यायिक सुनवाई होने पर रोक लगा दी थी।
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इससे पूर्व 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में बड़े षड्यंत्र के आरोप में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के फैसले को बरकरार रखने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की अपील गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी.
वेब डेस्क, IBC24
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