नई दिल्ली: देश में जहां एक ओर सर्जिकल स्ट्राइक टू को लेकर सियासी भूचाल मचा हुआ है वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को एक बड़े मामले राफेल पर लगाए गए पुर्नविचार याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा। बता दें मामले में पुनर्विचार याचिकाओं को देखने के बाद कोर्ट ने यह तय किया था कि सुनवाई खुली अदालत में होगी। कल (बुधवार) को इस याचिकाओं की सुनवाई मामले में पहले फैसला दे चुके 3 जज, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, संजय किशन कौल और के एम जोसफ ही करेंगे। राफेल मामले में यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।
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पुनर्विचार याचिकाओं के अलावा यशवंत सिन्हा, प्रशांत भूषण और अरुण शौरी ने एक और याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं का यह दावा है कि इस डील में सरकार ने दखल देकर तय प्रक्रिया के खिलाफ काम किया है, जिस बात की जानकारी कोर्ट के समक्ष प्रस्तूत नहीं की गई है। वहीं, सरकार ने बंद लिफाफे में कोर्ट को गलत जानकारी देकर गुमराह करने का प्रयास किया है। उनका कहना है कि गलत जानकारी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
सरकार की अर्जी पर भी हो सकती है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की भी एक अर्जी लंबित है। सरकार ने कोर्ट से दरख्वास्त की है कि कैग की रिपोर्ट संसद में रखे जाने को लेकर दर्ज वाक्य में बदलाव किया जाए। कोर्ट ने फैसले में लिखा है कि रिपोर्ट संसद में पेश की जा चुकी है। वहीं, सरकार का कहना है कि तब रिपोर्ट संसद में नहीं रखी गई थी। सीलबंद लिफाफे में सरकार ने ये बताया था कि प्रक्रिया के मुताबिक रिपोर्ट संसद में रखी जाती है। लेकिन कोर्ट ने फैसले में लिख दिया कि रिपोर्ट पेश की जा चुकी है। कोर्ट इस पर भी विचार करेगा।
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ये है पूरा मामला
फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के सौदे को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। 14 दिसंबर को दिए फैसले में कोर्ट ने माना था कि सौदा देशहित में है। इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई। इसी के खिलाफ याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि सरकार ने सौदे के बारे में सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को जो जानकारी दी थी, उसमें गलत तथ्य थे। उनके आधार पर कोर्ट ने जो निष्कर्ष निकाला वो भी गलत था।
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