माता की आरती की ध्वनि सुन मंदिर में आ जाता है भालुओं का परिवार.. पुजारी हाथ से खिलाते हैं प्रसाद | Hearing the sound of Mother's Aarti, the family of bears comes to the temple

माता की आरती की ध्वनि सुन मंदिर में आ जाता है भालुओं का परिवार.. पुजारी हाथ से खिलाते हैं प्रसाद

माता की आरती की ध्वनि सुन मंदिर में आ जाता है भालुओं का परिवार.. पुजारी हाथ से खिलाते हैं प्रसाद

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:10 PM IST, Published Date : March 7, 2021/4:24 pm IST

महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में चंडी देवी का एक ऐसा मंदिर हैं, जहां इंसान ही नहीं, भालुओं का भी पूरा परिवार माता के दर्शन के लिए पहुंचता है। मंदिर में रोजाना आरती होती है और भालुओं का पूरा परिवार यहां शामिल होने पहुंचता है। मंदिर में हर रोज सैकड़ों भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं, जब वे भालुओं द्वारा माता की भक्ति का यह नजारा देखते हैं तो आश्चर्य में पड़ जाते हैं।

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भालुओं को जामवंत परिवार की मान्यता

स्थानीय लोगों की मानें तो ये भालू कभी भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। गांववाले भालुओं को जामवंत परिवार कहने लगे हैं। जानकारों की मानें तो माता के मंदिर में भालुओं का इस तरह से रोज आना हैरानी की बात है। क्योंकि आमतौर पर जंगल में भालू का किसी इंसान से सामना हो जाए तो वह हमला कर देते हैं। गांव वालों के मुताबिक, चंडी माता का यह मंदिर पहले तंत्र साधना के लिए मशहूर था। यहां कई साधु-संत रहते थे। तंत्र साधना करने वालों ने पहले यह स्थान गुप्त रखा था लेकिन साल 1950-51 में इसे आम जनता के लिए खोला गया।

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150 साल पुराना मंदिर, प्राकृतिक है चंडी देवी की प्रतिमा

छत्तीसगढ़ का यह चंडी मंदिर महासमुंद जिले के घूंचापाली गांव में स्थित है। बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 150 साल पुराना है। यहां पर मौजूद चंडी देवी की प्रतिमा प्राकृतिक है। बताया जाता है कि सालों से माता के मंदिर में शाम होते ही भालुओं का आना शुरू हो जाता है। हर शाम आरती के समय भालू का पूरा परिवार माता के दर्शन के लिए पहुंच जाता है। माता का प्रसाद लेता है और फिर वहां से बिना किसी को नुकसान पहुंचाए जंगल में लौट जाता है। भालुओं की भक्ति देखकर यहां श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं।

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भालुओं का पूरा परिवार माता की प्रतिमा की परिक्रमा भी करता है। हैरानी की बात यह है कि भालू मंदिर में किसी पालतू जानवर की तरह आते हैं और बिना किसी को नुकसान पहुंचाए आराम से चले जाते हैं।