होलिका का दहन का मुहूर्त और राशियों पर पड़ने वाला प्रभाव | holi dahan muhurat 2019

होलिका का दहन का मुहूर्त और राशियों पर पड़ने वाला प्रभाव

होलिका का दहन का मुहूर्त और राशियों पर पड़ने वाला प्रभाव

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:46 PM IST, Published Date : March 19, 2019/9:22 am IST

फ्रेस्टिवल डेस्क। होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है। होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं। राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है।
फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्यौहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ रंगों की फुहार फूट पड़ती है। गुझिया होली का प्रमुख पकवान है जो कि मावा (खोया) और मैदा से बनती है और मेवाओं से युक्त होती है इस दिन कांजी के बड़े खाने व खिलाने का भी रिवाज है। नए कपड़े पहन कर होली की शाम को लोग एक दूसरे के घर होली मिलने जाते है जहाँ उनका स्वागत गुझिया, नमकीन व ठंडाई से किया जाता है।
इस त्योहार को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रसिद्‌ध है । प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक असुर राजा ने ब्रह्‌मा के वरदान तथा अपनी शक्ति से मृत्युलोक पर विजय प्राप्त कर ली थी ।

अभिमानवश वह स्वयं को अजेय समझने लगा । सभी उसके भय के कारण उसे ईश्वर के रूप मे पूजते थे परंतु उसका पुत्र प्रह्‌लाद ईश्वर पर आस्था रखने वाला था । जब उसकी ईश्वर भक्ति को खंडित करने के सभी प्रयास असफल हो गए तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को यह आदेश दिया कि वह प्रह्‌लाद को गोद में लेकर जलती हुई आग की लपटों में बैठ जाए क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था ।

परंतु प्रह्‌लाद के ईश्वर पर दृढ़-विश्वास के चलते उसका बाल भी बांका न हुआ बल्कि स्वयं होलिका ही जलकर राख हो गई । तभी से होलिका दहन परंपरागत रूप से हर फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है इसलिये इसे रंगवाली होली और दुलहंडी भी कहा जाता है। घर में सुख-शांति, समृद्धि, संतान प्राप्ति आदि के लिये महिलाएं इस दिन होली की पूजा करती हैं। फिर शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है।
होली 20 मार्च, 2019 –
भद्रा – 10:45 से 20:59

होलिका दहन मुहूर्त- 20:57 से 00:28

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 10:45 (20 मार्च)

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 07:13 (21 मार्च)

रंगवाली होली- 21 मार्च

होलिका दहन, जिसे होलिका दीपक और छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है, को सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो, करना चाहिये। भद्रा, जो पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्ध में व्याप्त होती है, के समय होलिका पूजा और होलिका दहन नहीं करना चाहिये। सभी शुभ कार्य भद्रा में वर्जित हैं।

होलिका दहन के मुहूर्त के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये –

भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये। धर्मसिन्धु में भी इस मान्यता का समर्थन किया गया है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट का स्वागत करने के जैसा है जिसका परिणाम न केवल दहन करने वाले को बल्कि शहर और देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है। किसी-किसी साल भद्रा पूँछ प्रदोष के बाद और मध्य रात्रि के बीच व्याप्त ही नहीं होती तो ऐसी स्थिति में प्रदोष के समय होलिका दहन किया जा सकता है। कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष और भद्रा पूँछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिये।

होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है। यदि किसी अन्य त्यौहार की पूजा उपयुक्त समय पर न की जाये तो मात्र पूजा के लाभ से वञ्चित होना पड़ेगा परन्तु होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है।

होलिका दहन के दिन रंगों की होली होती है जिस दुल्हैड़ी भी कहा जाता है । इस दिन बच्चे, बूढ़े और जवान सभी आपसी वैर भुलाकर होली खेलते हैं ।
हिंदु धर्म में प्रत्येक तीज-त्यौहार का अपना विशेष महत्व है। इसलिए जो त्योहार जिस रूप में मान्य है, उसी रूप में जरूर उसे मनाना चाहिए। होलिका दहन की पूजा से लेकर हवन की राख एकत्र करने तथा दूसरे दिन होली खेलने और पकवान खाने खिलाने का जो भी पारंपरिक तरीका है, उसका पालन अवश्य करना चाहिए। ये सभी परंपराएॅ हमारे धर्म और शास्त्र में बहुत महत्व रखता है क्योंकि ये जीवन के सुख, समृद्धि और शांति भाईचारे से जुड़े रीति-रिवाज हैं। तो आईये जानते हैं कि इस त्यौहार में आप अपनी राशि और नक्षत्र के अनुसार क्या पूजा करें, किस रंग के कपड़े धारण करें, कौन से रंग से होली खेले और किस पकवान से लोगों के दिलों में प्रवेश करें –
होली पर्व पर राशि अनुसार विशेष –
मेष राशि –
होलिका दहन के समय एक तांबे की कटोरी में चमेली का तेल, पांच लौंग और आंवले के पेड़ के पांच पत्ते, थोड़ा सा गुड़। यह सभी समान कटोरी में रख दें। मंगल स्त्रोत का पाठ करते हुए समस्त सामग्री को होलिका दहन के समय होलिका में अर्पित कर दे। दूसरे दिन प्रातःकाल होली की थोड़ी सी राख लेकर आएं और उस राख को चमेली के तेल में मिला कर अपने शरीर पर मालिश करें, फिर स्नान कर लें। उसके उपरांत सात चुटकी राख, सात तांबे के सिक्के, लाल कपड़े में बांधकर अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान या अपनी तिजोरी में रख दें। धन लाभ अवश्य होगा।

2. इस राशि के लोगों को गुलाबी या पीले रंग से होली खेलनी चाहिए। ये रंग प्यार के माने जाते हैं जो इस राशि के लिए मंगलदायक होते हैं। इस रंग से होली खेलना आपमें निरंतर ऊर्जा-उत्साह का प्रवाह रहेगा और आपकी सुख-समृद्धि के रास्ते खुलेंगे।

वृष राशि –

1. इस राशि के जातक-जातिकाओं को यदि व्यापारिक समस्या हो, घर में सुख शांति न हो, लेन-देन के मसलों से परेशानी हो, स्वास्थ्य अनुकूल न रहता हो, तो चाँदी की कटोरी लें और उसमें थोड़ा सा दूध, थोड़ा शक्कर, थोड़ा चावल, आंवला के पांच पत्ते डाल दें। इन सारे सामानों को होलिका दहन के समय शिव मंत्र जाप करके अग्नि को समर्पित कर दें। दूसरे दिन प्रातःकाल सफेद कपड़े में 11 चुटकी होलिका दहन की राख और एक सिक्का चाँदी का बांध लें। इस सामग्री को अपनी तिजोरी में रख दें। कारोबारी सारी समस्याओं का निवारण होगा। कैसी भी व्यापारिक समस्या होगी उसका निवारण हो जाएगा।

2. होली के प्रात:काल वृषभ राशि को सफेद वस्त्र धारण कर पीला, आसमानी और हल्के नीले रंग से होली खेलनी चाहिए। ये रंग आपके लिए शांति और सौहार्द्र लाते हैं। इससे आपको क्रोध पर नियंत्रण प्राप्त होगा और ऋण से भी मुक्ति मिलेगी।

मिथुन राशि –

1. अनावश्यक कलह, व्यापार में घाटा, अपनों का विरोध, मानसिक अस्थिरता, इन सारी समस्याओं के निवारण के लिए होलिका दहन के समय कांसे की कटोरी में 50 ग्राम धनिया, 108 दाने साबूत मूंग के, पीपल के पांच पत्ते, कोई भी मिठाई इन सारी सामग्रियों को अपने हाथ में रख कर ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे का 108 बार जाप करके इस सामग्री को होलिका दहन के समय अग्नि को समर्पित कर दें। दूसरे दिन प्रातःकाल हरे कपड़े में 3 चुटकी होलिका दहन की राख, 3 हरे हकीक के पत्थर बांधकर अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर बांध लें या इस सामग्री को तिजोरी में रख दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।

2. यह राशि बुद्धि और वाणी का स्वामी माना जाता है। यह हरे रंग का प्रतिनिधित्व भी करता है। इसलिये इस राशि के लोगों को हरे रंग से होली खेलनी चाहिए। इससे आपके जीवन में उत्साह और समृद्धि आएगी, नौकरी-व्यापार में सम्मानजनक उपलब्धि मिलेगी तथा सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी।

कर्क राशि –

1. मानसिक अस्थिरता रहे, काम में रुचि नहीं रहे, अपनों से धोखा मिला करे, काम बदलने की प्रवृत्ति बढ़े, तो ऐसी अवस्था में सभी समस्याओं के समाधान के लिए एक कटोरी ले लें और उसमें थोड़ा सा दही रख लें, फिर उसमें चावल, अशोक के सात पत्ते और सफेद पेठा की मिठाई ले लें। इन सबको कटोरी में रख कर अपने हाथ में रख लें। महामृत्युंजय का 108 बार जाप करके अग्नि को समर्पित कर दें। दूसरे दिन प्रातःकाल सफेद कपड़े में होलिका दहन की राख 7 चुटकी, 7 गोमती चक्र बांधकर दुकान, व्यापारिक प्रतिष्ठान या घर के मुख्य द्वार पर लटका दें अथवा अपनी तिजोरी में रख दें। महालक्ष्मी की कृपा अवश्य होगी। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।

2. कर्क राशि के लोगों को गहरे रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्हें हल्का नीला, हल्का हरा, केसरिया या सफेद रंग से होली खेलनी चाहिए। ऐसा करना उन्हें संयमी बनाता है और शांति प्रदान करता है।

सिंह राशि –

1. यदि कारोबार में सफलता नहीं मिल रही हो, स्वास्थ्य अनुकूल नहीं हो, कार्यों में अप्रत्याशित बाधा आ रही हो तो होलिका दहन के दिन कांसे की कटोरी में थोड़ा सा घी ले लें, गेहूं, पांच चुटकी देसी खाण्ड, अशोक वृक्ष के पांच पत्ते, कटोरी में रखकर अपने हाथ में ले लें और सूर्य गायत्री का 108 बार जाप करके समस्त सामग्री को होलिका को समर्पित कर दें। दूसरे दिन प्रातःकाल सुनहरे कपड़े में 5 चुटकी होलिका दहन की राख, तांबे के पत्र पर खुदा हुआ सूर्य यंत्र, पांच तांबे के पुराने सिक्के बांधकर जहाँ धन रखते हैं, यदि वहाँ रख दिया जाए तो व्यावसायिक प्रतिकूलताओं का शमन होगा। एक बात का ध्यान अवश्य रखें, सूर्य यंत्र को खोल कर घी का दिया व धूप अवश्य दिखाएं। सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

2. सिंह राशि पर सूर्य का प्रभाव होता है और इसलिए इसके जातक ऊर्जावान होते हैं। इन्हें लाल, पीला और नारंगी रंगों से होली खेलनी चाहिए। ऐसा करना आप पर ना केवल सकारात्मकता का प्रभाव बढ़ाता है, बल्कि बुद्धि भी प्रखर करता है

कन्या राशि –

1. किसी काम में स्थिरता नहीं बनती हो, दिए हुए पैसे वापस नहीं मिल रहे हों, अपनों की वजह से हमेशा परेशानी झेलनी पड़ रही हो या कारोबारी या कानूनी समस्या हो तो ताम्बे की कटोरी में आंवले का थोड़ा सा तेल ले लें और पांच पत्ते नीम, पांच इलायची, नारियल से बनी मिठाई, इन सारी सामग्री को कटोरी में डाल कर अपने हाथ में रख लें और 108 बार बुध के बीज मंत्र का जाप करते हुए सारी सामग्री को हालिका में दहन कर दें। दूसरे दिन प्रातःकाल हरे कपड़े में 11 चुटकी होलिका दहन की राख, 11 बलास्त (बीता) हरा धागा, छेद वाले तांबे के सात सिक्के बांध कर दुकान, व्यापारिक प्रतिष्ठान आदि के मुख्य द्वार पर टांग दें या अपने तिजोरी में रखने से कारोबार में वृध्दि होगी और सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।
2. कन्या राशि भी बुद्ध ग्रह से जुड़ा होता है और इस ग्रह से जुड़े लोगों के लिए हरा रंग शुभ माना जाता है। हरे रंग का प्रयोग जहां आपमें उत्सव मनाने की खुशी कई गुणा बढ़ा देती है, वहीं यह आपको सम्मान भी दिलाता है। नीले और लाल रंग का प्रयोग ना करें।

तुला राशि –

1. यदि व्यापारिक, शारीरिक या पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा हो अथवा अनावश्यक कार्य बाधा आ रही हो तो इन्हें चाँदी की कटोरी में पांच छोटी चम्मच गाय के दूध की खीर ले लें, पांच पत्ते शीशम के, गेंदा के पांच फूल, इन सारी सामग्रियों को अपने हाथ में रख कर शिव षडाक्षरी मंत्र यानी ॐ नम: शिवाय का 108 बार जाप करके होलिका दहन के समय यह समस्त सामग्री अग्नि को समर्पित कर दें। दूसरे दिन प्रातःकाल क्रीम रंग के कपड़े में 7 चुटकी होलिका दहन की राख, 7 कोड़ियां पीली धारी वाली बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें। अवश्य लाभ होगा। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।

2. तुला राशि वालों के लिए बैंगनी, नीला, भूरा और सफेद रंग शुभ माना गया है। होली पर इन रंगों के प्रयोग से आपके संबंध लोगों से और मधुर बनते हैं, साथ ही यह आपको वैभव दिलाता है।

वृश्चिक राशि –

1. इस राशि के लोगो को यदि सफलता के लिए जूझना पड़ रहा हो, कारोबार में लाभ न मिल रहा हो तो इन्हें तांबे की कटोरी में चमेली का तेल डाल कर, पांच साबूत लाल मिर्च, एक बुंदी का लड्डू, पांच गूलर के पत्ते, इन समस्त सामग्री को अपने हाथ में रखकर ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा का 108 बार जाप करके सारी सामग्री अग्नि को समर्पित कर दें। दूसरे दिन प्रातःकाल लाल कपड़े में 17 चुटकी होलिका दहन की राख, 1 लाल मूंगा बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें। कारोबार सम्बंधित सारी समस्या का निवारण होगा। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।

2. वृश्चिक राशि के लोगों के लिए लाल और मैरून रंग शुभ माना गया है। होली पर इस रंग के प्रयोग से जीवन में आप कई समस्याओं से बच सकते हैं। यह आपके मजबूत व्यक्तित्व को उभारेगा। साथ ही इससे आपका मान-सम्मान बढ़ेगा

धनु राशि –

1. यदि व्यापारिक, शारीरिक या पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा हो अथवा अनावश्यक कार्य बाधा आ रही हो तो इन्हें एक पीतल की कटोरी में देसी गाय का थोड़ा सा घी, थोड़ा सा गुड़, चने की दाल, पांच आम के पत्ते डाल अपने हाथ में रख लें फिर बृहस्पति गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करके इन समस्त सामग्रियों को होलिका दहन के समय अग्नि को समर्पित कर दें। दूसरे दिन प्रातःकाल पीले कपड़े में 9 चुटकी होलिका दहन की राख एवं 11 पीली कोड़ियां बांधकर अपनी तिजोरी में रख लें। कारोबार सम्बंधी कष्टों से छुटकारा मिल जाएगा।
2. धनु राशि के लोगों के लिए पीला या नारंगी रंग सर्वोत्तम माना गया है। हिंदू धर्म में पीला रंग देवताओं का प्रिय रंग माना जाता है। होली पर इस रंग का प्रयोग पूरे वर्ष आपके स्वभाव को खुशनुमा और नम्र बनाए रखेगा। प्राकृतिक नारंगी रंग पाने के लिए टेसू के फूलों को रात भर पानी में भिगोएं।

मकर राशि –

1. यदि व्यापारिक, शारीरिक या पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा हो, अथवा अनावश्यक कार्य बाधा आ रही हो तो इन्हें एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल थोड़ा सा लें, उसमें काली तिल, शम्मी के पत्ते, एक गुलाब जामुन मिठाई, इन समस्त सामग्रियों को अपने हाथ में लेकर ॐ शं शनैश्चराय नम: इस मंत्र का 108 बार जाप करके इस समस्त सामग्री को हालिका दहन के समय अग्नि में समर्पित कर दें। दूसरे दिन प्रातःकाल नीले कपड़े में 11 चुटकी राख, 11 छोटी लोहे की कील बांधकर घर या व्यापारिक संस्था के मुख्य द्वार पर लटका दें। सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।

2. मकर राशि के लोग के लिए हल्का नीला और आसमानी रंग शुभ माना गया है। होली पर इन रंगों का प्रयोग आपके अंदर सकारात्मक उर्जा का संचार करेगा।

कुम्भ राशि –

1. यदि व्यापारिक, शारीरिक या पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा हो, अथवा अनावश्यक कार्य बाधा आ रही हो तो इन्हें एक स्टील की कटोरी में तिल का तेल, 108 दानें साबूत उड़द के, पांच बरगद के पत्ते, पांच काली मिर्च, कोई भी एक मिठाई, इन समस्त सामग्री को अपने हाथ में रख कर मंगलकारी शनि मंत्र की 108 बार जाप करके होलिका दहन के समय अग्नि को समर्पित कर दें। दूसरे दिन प्रातःकाल काले कपड़े में 11 चुटकी होलिका दहन की राख, काजल की डिब्बी बांधकर कारोबारी प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर लटका दें।
मीन राशि –

1. यदि व्यापारिक, शारीरिक या पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा हो अथवा अप्रत्याशित कार्य बाधा आ रही हो तो इन्हें कांसे की कटोरी में बादाम का तेल थोड़ा सा उसमें चने की दाल, कोई भी थोड़ी सी पीली मिठाई, आम के पांच पत्ते, एक गांठ हल्दी, इन समस्त सामग्री को अपने हाथ में लेकर ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं गुरवे नम: मंत्र का 108 बार जाप करके इन समस्त सामग्रियों को हालिका दहन के दिन अग्नि को समर्पित कर दें। दूसरे दिन प्रातःकाल पीले कपड़े में 7 चुटकी होलिका दहन की राख, तांबे के 7 सिक्के और 11 कौड़ी बांधकर घर, दुकान, व्यापारिक प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर लटका दें। सारी व्यावसायिक पीड़ाओं से छुटकारा मिलेगा।

2. मीन राशि पर बृहस्पति का प्रभाव रहता है जिन्हें पीला रंग अत्यंत ही प्रिय है। इस राशि के लोगों को काले रंग के प्रयोग से बचना चाहिए। पीले रंग से होली खेलना आपके जीवन में धन-वैभव, प्रतिष्ठा-सफलता एवं समृद्धि पाने के रास्ते खोलता है।