जनता मांगे हिसाब: जावरा-बांधवगढ़ विधानसभा के मुखर हुए मुद्दे | IBC24 Special:

जनता मांगे हिसाब: जावरा-बांधवगढ़ विधानसभा के मुखर हुए मुद्दे

जनता मांगे हिसाब: जावरा-बांधवगढ़ विधानसभा के मुखर हुए मुद्दे

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:03 PM IST, Published Date : April 12, 2018/8:22 am IST

अब बात मध्य प्रदेश के उमरिया जिले की बांधवगढ़ विधानसभा सीट 2003 के पहले उमरिया के नाम से जानी जाती थी और तब तक ये सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी लेकिन 2003 में बीजेपी के ज्ञान सिंह और कांग्रेस नेता अजय सिंह चुनावी मैदान में उतरे तो  ज्ञान सिंह ने जीत का परचम लहराया। 2006 के परिसीमन में क्षेत्र में थोडा बहुत बदलाव करते हुए इस विधानसभा का नाम बांधवगढ़ कर दिया गया तब से ज्ञान सिंह 2008 और 2012 के चुनावों में लगातार जीतते रहे और 2016 के उपचुनाव में ज्ञान सिंह के बेटे शिवनारायण सिंह ने जीत दर्ज की. सबसे पहले एक नजर बांधवगढ़ विधानसभा सीट के प्रोफाइल पर

उमरिया जिले में आती है विधानसभा सीट

मतदाता-2 लाख 6 हजार

1 लाख 6 हजार पुरुष मतदाता

97 हजार महिला मतदाता

करीब 46 फीसदी आदिवासी मतदाता 

बांधवगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा

बीजेपी विधायक हैं शिवनारायण सिंह

बांधवगढ़ विधानसभा की सियासत

कभी कांग्रेस का गढ़ रही बांधवगढ़ विधानसभा अब बीजेपी के कब्जे में है…अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो टिकट की दावेदारी का लेकर कांग्रेस और बीजेपी में लंबी कतार दिखाई देने लगी है…विधायक की टिकट हासिल करने के लिए नेता विधानसभा में सक्रिय दिखाई दे रहे हैं ।

बांधवगढ़ विधानसभा सीट अब बीजेपी का गढ़ बनती जा रही है क्योंकि लगातार बीजेपी जीत का परचम लहराती आ रही है…इसी सीट से बीजेपी सांसद ज्ञान सिंह भी विधायक चुने जाते रहे हैं..वर्तमान में ज्ञान सिंह के बेटे शिवनारायण सिंह बीजेपी विधायक हैं..अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो विधायक की टिकट के लिए नेता सक्रिय दिखाई देने लगे हैं…बीजेपी की बात करें तो वर्तमान बीजेपी विधायक  शिवनारायण सिंह सबसे आगे नजर आ रहे हैं…हालांकि नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष राजेंद्र कोल,और ज्ञान सिंह के करीबी कमल सिंह का नाम भी दावेदारों की लिस्ट में है… वहीँ कांग्रेस  की बात करें तो 2008 और 2016 के उपचुनाव में बीजेपी से पराजित हो चुकी सावित्री सिंह का नाम दावेदारों में सबसे आगे है…नेता प्रतिपक्ष

अजय सिंह की करीबी मानी जाने वाली सावित्री सिंह की आदिवासी वोट बैंक पर तगड़ी पकड़ मानी जाती है….इसके अलावा स्थानीय नेताओं का भी उन्हें पूरा समर्थन हासिल हैं… इसके अलावा बीएसपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने वाले मनोहर सिंह मराबी का नाम भी विधायक की टिकट के दावेदारों में से एक है… मनोहर सिंह मराबी निगहरी के सरपंच हैं…कांग्रेस से टिकट की चाह रखने वालों में से एक नाम है विजय कोल का वो भी विधायक की टिकट की रेस में हैं ।

बांधवगढ़ विधानसभा के प्रमुख मुद्दे

उमरिया जिले की बांधवगढ़ विधानसभा एक नहीं कई समस्याओं से घिरी नजर आती है…शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के मोर्च पर भी फेल है बांधवगढ़…हर चुनाव में दावे और वादे तो किए गए लेकिन फिर भी हालात नहीं बदले ।

बांधवगढ़ विधानसभा में सियासी उठापटक तो दिखाई देती है लेकिन विकास कहीं दिखाई नहीं देता । बांधवगढ़ में सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी क्योंकि उद्योग और रोजगार के संसाधनों की कमी है…कहने को तो कोयला खदानें हैं लेकिन उसमें भी स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता..तो वहीं मनरेगा का भुगतान भी नहीं हो रहा है..नतीजा पलायन के लिए मजबूर हैं लोग । इलाके में किसान भी परेशान हैं..हालत ये है कि लागत मूल्य तक के लिए तरस जाता है अन्नदाता ।इसके अलावा स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की हालत खराब है…सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी अब तक पूरी नहीं हो सकी है तो वहीं उच्च शिक्षा के लिए युवाओं को आज भी बड़े शहरों का रूख करना पड़ता है…स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो हालत बेहद खराब हैं..आज भी अस्पताल स्टॉप और जरुरी संसाधनों के इंतजार में हैं ।वहीं कुपोषण भी एक गंभीर समस्या बनी हुई हैं । बांधवढ़ में विकास तो छोड़िए पीने के पानी तक के लिए तरस रहे हैं लोग । 

जावरा विधानसभा में लगी IBC24 की चौपाल, जनमुद्दों की गूंज

जावरा विधानसभा की भौगोलिक स्थिति

अब बात रतलाम जिले की जावरा विधानसभा सीट की….जावरा विधानसभा सीट में नगरीय और ग्रामीण दोनों क्षेत्र आते हैं .कभी नावाबों की रियासत रही जावरा विधानसभा के सियासी इतिहास की बात करें तो…पूर्व मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू जैसे नेताओं की सियासी जमीन रही है जावरा..तो एक नजर जावरा विधानसभा सीट की प्रोफाइल पर।

रतलाम जिले में आती है विधानसभा सीट

हुसैन टेकरी शरीफ है विधानसभा की पहचान

जनसंख्या-3 लाख से ज्यादा

मतदाता-1 लाख 99 हजार

1 लाख 2 हजार पुरुष मतदाता

17 हजार महिला मतदाता

विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा

जावरा विधानसभा की सियासतविधानसभा चुनाव को लेकर बस कुछ ही महीने बचे हैं..इसीलिए जावरा विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव लड़ने की ख्वाहिश लिए घूमते दिखाई देने लगे हैं नेता. बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों में विधायक की टिकट के दावेदारों की लिस्ट लंबी होती दिखाई दे रही है..तो आखिर वो कौनसे नेता हैं जो अपनी दावेदारी के लिए ताल ठोंक रहे हैं  ?

विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरु होते ही विधायक की टिकट को लेकर बीजेपी हो या कांग्रेस में हलचल शुरु हो गई है. नेता विधानसभा में सक्रिय दिखाई देने लगे हैं बीजेपी की बात करें तो वर्तमान बीजेपी विधायक राजेंद्र पांडेय टिकट के दावेदारों में फिलहाल आगे नजर आ रहे हैं. बीजेपी के रुघनाथ सिंह आंजना भी टिकट के दावेदारों में से एक हैं रघुनाथ सिंह किसानों के बीच खासे लोकप्रिय नेता हैं। इसके आलावा कानसिंह चौहान भी बीजेपी से विधायक की टिकट की आस लगाए बैठे हैं. कानसिंह भी प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं क्योंकि इन्हें स्थानीय नेताओं का समर्थन हासिल है. अब बात कांग्रेस की करें तो दावेदारों में आगे नजर आ रहे हैं के के सिंह कालूखेड़ा. जोकि कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के भाई हैं. साथ ही ज्योदिरादित्य सिंधिया के नजदीकी भी माने जाते हैं. डॉ हमीर सिंह राठौर भी  विधायक की टिकट के दावेदार हैं. इसके अलावा गरिमा सिंह भी टिकट की रेस में आगे हैं।

जावरा विधानसभा के प्रमुख मुद्दे

जावरा विधानसभा में विकास के अलावा हमेशा से स्थानीय मुद्दे हावी रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र में किसानों की बदहाली मुद्दा है तो जावरा नगर के बीच स्थित रेलवे क्रॉसिंग की वजह से बढ़ता टैफिक भी एक बड़ी समस्या है..इसके अलावा और कौनसी समस्या हैं जिनसे जनता परेशान है एक नजर उस पर भी ।

विकास के वादे और दावे तो किए गए लेकिन हकीकत ये है कि आज भी जावरा विधानसभा में आज भी बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरस रहे हैं लोग । शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य और बेरोजगारी के मोर्च पर फेल नजर आता है जावराआज भी स्कूलों में शिक्षिकों की कमी पूरी नहीं हो पाई हैं तो वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव हर तरफ नजर आता है. बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या हैं क्योंकि रोजगार के साधन हैं ही नहीं..नतीजा पलायन बढ़ता जा रहा है…किसानों की भी हालत खराब है. फसलों की पैदावार बंपर होती है लेकिन फिर खेती लाभ का धंधा नहीं बन पा रही है ।जावरा नगर में ट्रैफिक और अतिक्रमण भी एक बड़ी समस्या है. इसके अलावा रेलवे क्रॉसिंग का भी अब कोई हल नहीं निकल पाया है नतीजा घंटों ट्रैफिक जाम रहता है…इसके अलावा सड़कों की भी हालत खराब है..कई गांव तो आज भी रोड कनेक्टिविटी नहीं है ।

 

वेब डेस्क, IBC24