जनता मांगे हिसाब: IBC24 के मंच में बड़वानी और धौहनी के मुद्दों की गूंज | IBC24 Special:

जनता मांगे हिसाब: IBC24 के मंच में बड़वानी और धौहनी के मुद्दों की गूंज

जनता मांगे हिसाब: IBC24 के मंच में बड़वानी और धौहनी के मुद्दों की गूंज

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : April 14, 2018/11:37 am IST

IBC24 की खास कार्यक्रम जनता मांगे हिसाब कार्यक्रम में शुक्रवार को बड़वानी और धौहनी की समस्याएं मुखर हुईं। IBC24 ने जनता से जुड़ी हर सस्याओं को जोरशोर से उठाया। तो चलिए आपको बड़वानी और धौहनी इलाके की समस्याओं से वाकिफ कराते हैं।

बड़वानी की भोगोलिक स्थित 

कभी बीजेपी का गढ़ थी बड़वानी विधानसभा

बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल लगातार तीन बार रहे विधायक

2013 में कांग्रेस ने दर्ज की जीत

वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं रमेश पटेल 

सबसे ज्यादा अनुसूचित जनजाति के मतदाता

बड़वानी की सियासत

जैसे जैसे चुनाव का वक्त नजदीक आ रहा है..बड़वानी में सियासी पारा चढ़ने लगा है..बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही दलों में टिकट के लिए कई दावेदार हैं.. वर्तमान में यहां कांग्रेस के रमेश पटेल विधायक हैं..लेकिन आगामी चुनाव में कांग्रेस के लिए यहां चुनौती आसान नहीं रहने वाली..क्योंकि बीजेपी अपनी इस परंपरागत सीट को दोबारा पाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगी। 

बड़वानी विधानसभा में मुख्य रूप से बीजेपी और कांग्रेस में ही मुख्य मुकाबला रहा है…वैसे बड़वानी जिले की ये सीट परंपरागत तौर पर बीजेपी की मजबूत गढ़ों में से एक रही है….और  प्रेम सिंह पटेल यहां से 1998, 2003 और 2008 में लगातार तीन बार विधायक चुने गए…लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रमेश पटेल ने प्रेम सिंह पटेल को हराकर बीजेपी के इस गढ़ में सेंध लगाई..अब जब चुनावी साल है तो एक बार फिर सियासी सरगर्मी बढ़ रही है..दोनों पार्टियों में टिकट के लिए की दावेदार ताल ठोंक रहे हैं। कांग्रेस में सभावित उम्मीदवारों की बात करें तो मौजूदा विधायक रमेश पटेल इस दौड़ में सबसे आगे हैं..लेकिन शहरी क्षेत्र के मतदाताओं की नाराजगी उनके खिलाफ जा सकती है…वहीं राजेंद्र मंडलोई भी बड़वानी में रमेश पटेल के विकल्प हो सकते हैं।  इसके अलावा लक्ष्मण चौहान भी टिकट के दावेदार हैं..जिन्होंने नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में प्रेम सिंह कोपटेल को हराया। 

वहीं दूसरी ओर बीजेपी की बात  करें तो पूर्व विधायक प्रेम सिंह पटेल का नाम सबसे आगे है..हालांकि पार्टी का एक धड़ा उनसे काफी नाराज है..जो उनके खिलाफ जा सकता है..इसके अलावा अनुसूचित जाति-जनजाति के अध्यक्ष गजेंद्र पटेल भी संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं। कुल मिलाकर दोनों पार्टियों में दावेदारों की लंबी कतार है..जो पार्टी में गुटबाजी को भी जन्म दे रही है..ऐसे में उम्मीदवार चयन करने के दौरान बीजेपी-कांग्रेस को इस बात का ध्यान रखना होगा कि फैसले से पार्टी में भीतरघात की स्थिति पैदा न हो..साथ ही जातिगत समीकरण को भी साधने की चुनौती होगी..क्योंकि अगर वो ऐसा नहीं कर पाते हैं तो बड़वानी की जनता उलटफेर करने में देर नहीं करती । 

बड़वानी विधानसभा में मुख्य रूप से बीजेपी और कांग्रेस में ही मुख्य मुकाबला रहा है…वैसे बड़वानी जिले की ये सीट परंपरागत तौर पर बीजेपी की मजबूत गढ़ों में से एक रही है….और  प्रेम सिंह पटेल यहां से 1998, 2003 और 2008 में लगातार तीन बार विधायक चुने गए…लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रमेश पटेल ने प्रेम सिंह पटेल को हराकर बीजेपी के इस गढ़ में सेंध लगाई..अब जब चुनावी साल है तो एक बार फिर सियासी सरगर्मी बढ़ रही है..दोनों पार्टियों में टिकट के लिए की दावेदार ताल ठोंक रहे हैं। कांग्रेस में सभावित उम्मीदवारों की बात करें तो मौजूदा विधायक रमेश पटेल इस दौड़ में सबसे आगे हैं..लेकिन शहरी क्षेत्र के मतदाताओं की नाराजगी उनके खिलाफ जा सकती है…वहीं राजेंद्र मंडलोई भी बड़वानी में रमेश पटेल के विकल्प हो सकते हैं।  इसके अलावा लक्ष्मण चौहान भी टिकट के दावेदार हैं..जिन्होंने नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में प्रेम सिंह कोपटेल को हराया। 

वहीं दूसरी ओर बीजेपी की बात  करें तो पूर्व विधायक प्रेम सिंह पटेल का नाम सबसे आगे है..हालांकि पार्टी का एक धड़ा उनसे काफी नाराज है..जो उनके खिलाफ जा सकता है..इसके अलावा अनुसूचित जाति-जनजाति के अध्यक्ष गजेंद्र पटेल भी संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं। कुल मिलाकर दोनों पार्टियों में दावेदारों की लंबी कतार है..जो पार्टी में गुटबाजी को भी जन्म दे रही है..ऐसे में उम्मीदवार चयन करने के दौरान बीजेपी-कांग्रेस को इस बात का ध्यान रखना होगा कि फैसले से पार्टी में भीतरघात की स्थिति पैदा न हो..साथ ही जातिगत समीकरण को भी साधने की चुनौती होगी..क्योंकि अगर वो ऐसा नहीं कर पाते हैं तो बड़वानी की जनता उलटफेर करने में देर नहीं करती । 

बड़वानी के प्रमुख मुद्दे

हर बार चुनाव से पहले जनप्रतिनिधि बड़वानी की जनता से वोट के बदले  विकास के दावे तो खूब करते हैं..लेकिन चुनाव के बाद क्षेत्र की जनता के हिस्से केवल दुश्वारियां ही आती हैं…बड़वानी में हमेशा की तरह आने वाले चुनाव में भी यहां बेरोजगारी का मुद्दा जमकर गूंजने वाला है …न जाने क्यों इस मुद्दे पर सियासी दल और उनके नेता सिर्फ बातें ही करते नजर आते हैं

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बड़वानी विधानसभा में यूं तो समस्याओं की कोई कमी नहीं है..और चुनावे के समय में ये सारी समस्याएं मुद्दे बनकर खूब गूंजते हैं…लेकिन चुनाव खत्म होते ही इन मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है…अब जब चुनावी साल है तो..एक बार फिर बड़वानी में इन मुद्दों की गूंज सुनाई देने लगी है…क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के अभाव के साथ उच्च शिक्षा का बुरा हाल है…यहां सिर्फ एक शासकीय कॉलेज है..क्षेत्र के युवाओं को मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसे प्रोफेशनल कोर्स के लिए बड़े नगरों का रुख करना पड़ता है। बड़वानी में बरसों से बड़े उद्योगों की मांग रही है..लेकिन अब तक कोई उद्योग स्थापित नहीं होने से यहां के मजदूरों को रोजगार के लिए दूसरे इलाकों में पलायन करना मजबूरी बन गया है। कुल मिलाकर बेरोजगारी यहां सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है। बड़वानी शहर में सफाई व्यवस्था और पेयजल जैसी समस्याएं भी आने वाले चुनाव में मुद्दा बन सकता है… अवैध शराब और अवैध उत्खनन जैसे धंधो के कारण यहां का युवा नशे की जकड में फंसता जा रहा है …वहीं नर्मदा में अवैध उत्खनन को लेकर भी समय समय मे आवाज़ उठती रहती है.. सरदार सरोवर बांध से विस्थापित लोगो के सामने भी कई तरह की समस्याएं हैं। 

 

धौहनी की भौगोलिक स्थिति

अब बात करते हैं मध्यप्रदेश के धौहनी विधानसभा की

सीधी जिले में आती है धौहनी विधानसभा सीट

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र

संजय टाइगर रिजर्व है पहचान

मतदाता-2 लाख 23 हजार 789

पुरुष मतदाता 1 लाख 15 हजार 568

महिला मतदाता 1 लाख 8 हजार 210 

वर्तमान में विधानसभा पर बीजेपी का कब्जा

कुंवर सिंह  टेकाम हैं बीजेपी विधायक

धौहनी की सियासत

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र धौहनी विधानसभा सीट में करीब ढाई लाख मतदाता हैं..जो उम्मीदवारों के किस्मत का फैसला करते हैं…सीट पर वर्तमान में बीजेपी के कुंवर सिंह टेकाम विधायक हैं..हालांकि आने वाले यहां बीजेपी के लिए सीट पर जीत हासिल करना इतना आसान नहीं रहने वाला…वहीं दूसरी ओर दावेदारों की लंबी कतार कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। 

सीधी जिला में शामिल धौहनी विधासनभा सीट.. अनुसूचित जनजाति के लिए लिए आरक्षित है…मध्यप्रदेश के इस सीट की सियासी समीकरण की बात करें तो फिलहाल बीजेपी के कुंवर सिंह टेकाम यहां से विधायक हैं…विधासनभा चुनाव 2018 के लिए कुंवर सिंह टेकाम एक बार फिर शिवराज सरकार के विकास कार्यों के साथ जनता के बीच जाने को तैयार हैं…हालांकि क्षेत्र की जनता उनसे काफी नाराज हैं…जिसे पार्टी आलाकमान नजरअंदाज नहीं कर सकती। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी वर्तमान जनपद अध्यक्ष कुशमी हीरा बाई सिंह पर दांव लगा सकती है..दूसरी ओर कांग्रेस में टिकट दावेदारों की लंबी लिस्ट है…पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्यामवती सिंह इस दौड़ में सबसे आगे है..आदिवासी समाज में अच्छी पकड़ रखने वाली श्यामवती वर्तमान में प्रदेश प्रतिनिधि भी है..वहीं पूर्व सांसद तिलक राज सिंह राजू को कभी कांग्रेस अगले चुनाव में आजमा सकती है। 

धौहनी के प्रमुख मुद्दे

धौहनी विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले आदिवासी आज भी बुनियादी जरूरतों से काफी दूर है। कहने के लिए राज्य सरकार तमाम योजनाओं को उन तक पहुंचाने की बात करती रही है। लेकिन धऱातल पर हकीकत कुछ और ही नजर आता है..वहीं जनप्रनितिधि भी केवल चुनावी समय में ही समस्याओं और मुद्दों की बात करते हैं। 

धौहनी विधानसभा क्षेत्र में विकास की रफ्तार आज भी सुस्त नजर आती है..यहां गरीबी और बेरोजगारी की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है…यहां के आदिवासी रोजगार के लिए भटकने को मजबूर हैं..दरअसल पावर प्लांट में नौकरी की लालच में यहां के स्थानीय लोगों ने अपनी जमीन से हाथ तक धो चुके हैं…लेकिन बेरोजगारी की समस्या दूर नहीं हुई..वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी इलाका काफी पिछड़ा है..एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय..आईटीआई जैसे संस्थानों के लिए करोड़ों के भवन तो तैयार हो गए हैं..लेकिन टीचर नहीं होने से शिक्षा का स्तर नहीं सुधरा है। 

वहीं संजय टाइगर रिजर्व विस्थापन में 41 गांवों का विस्थापन का मुद्दा भी आगामी चुनाव में गूंज सकता है.. पिछले साल इन आदिवासियों के घर गिरा दिए है..लेकिन मुआवजा के नाम पर आदिवासियों को कुछ खास नहीं मिला..इसके अलावा विस्थापित आदिवासी परिवार कहां जाए इस बात को लेकर शासन प्रशासन कोई इंतजाम नही किया है। स्वास्थ्य सुविधाओं का भी हाल बेहाल है..सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर, नर्स स्टाप नहीं होने से आदिवासियों का सही इलाज नहीं होता है.. महिला सुरक्षा की भी यहां गंभीर समस्या है।  जिसके लिए प्रशासन स्तर पर यहाँ कोई पहल नहीं की गई है 

 

वेब डेस्क, IBC24

 
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