जनता मांगे हिसाब: मध्यप्रदेश की हटा और शुजालपुर की जनता ने मांगा हिसाब | IBC24 Special:

जनता मांगे हिसाब: मध्यप्रदेश की हटा और शुजालपुर की जनता ने मांगा हिसाब

जनता मांगे हिसाब: मध्यप्रदेश की हटा और शुजालपुर की जनता ने मांगा हिसाब

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:57 PM IST, Published Date : April 18, 2018/11:37 am IST

IBC24 की खास पेशकश जनता मांगे हिसाब में मध्यप्रदेश की हटा और सुजालपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने IBC24 की चौपाल में अपने क्षेत्र की परेशानियों और खास मुद्दों को रखा. तो आइए दोनों विधानसभा क्षेत्र में एक नजर डालते हैं.

हटा की भौगोलिक स्थिति

अब बात करते हैं मध्यप्रदेश की हटा विधानसभा की,…यहां का सियासी समीकरण काफी दिलचस्प रहता है..चुनाव में यहां मुद्दों से ज्यादा प्रत्याशियों का चयन अहम होता है..सबसे पहले नजर डालते हैं हटा की भौगोलिक स्थिति पर नजर डाल लेते हैं..

दमोह जिले में आती है हटा विधानसभा

कुल मतदाता- 2 लाख 1 हजार 508

पुरुष मतदाता- 1 लाख 7 हजार 903

महिला मतदाता- 93 हजार 604

जंगलों और पहाड़ों से घिरा है हटा विधानसभा क्षेत्र का बड़ा भाग

व्यारमा और सुनार नदी क्षेत्र की पहचान है

ST वर्ग के लिए आरक्षित है हटा विधानसभा

वर्तमान में विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा

बीजेपी के उमादेवी खटीक हैं वर्तमान विधायक

हटा विधानसभा क्षेत्र की सियासत

दमोह जिले की हटा विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है और वर्तमान विधायक हैं उमा देवी खटीक…अब विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है तो  विधायक की टिकट के लिए दावेदार एक-एक कर सामने आने लगे हैं । बीजेपी हो या कांग्रेस दावेदारों की लिस्ट लंबी दिखाई दे रही है….विधायक की टिकट की आस लिए नेता अब विधानसभा में सक्रिय हो चले हैं.

घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा हटा विधानसभा क्षेत्र दमोह के अलावा पन्ना, छतरपुर और कटनी जिले की सीमाओं को छूता है…एसटी वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर मुद्दों से ज्यादा चेहरा हावी रहता है..यही वजह है कि पार्टियों के उम्मीदवार का नाम तय होने के बाद ही लोग यहां यहां चुनाव के नतीजों का कयास लगा लेते हैं। यहां के जाति समीकरण को सियासी पार्टियां भी खूब समझती है..इसलिए वो ऐसे कैंडिडेट को ही टिकट देती है..जो सभी जाति समीकरण में फिट बैठे। 

वैसे हटा के सियासी इतिहास की बात की जाए तो…

1985 के बाद हुए कुल 7 चुनावों में यहां की जनता ने 6 बार बीजेपी के उम्मीदवारों को चुना है। 1977 से 1991 तक बीजेपी के दिग्गज नेता रामकृष्ण कुसमरिया हटा से 3 बार विधायक चुने गए,..जबकि एक बार 1998 में कांग्रेस से राजा पटेरिया यहां से जीते..

वहीं 2008 और 2013 में बीजेपी की उमादेवी खटिक यहां से चुनाव जीत रही हैं।  

अब जब विधानसभा चुनाव होने में कुछ महिने बचे हैं..तो पार्टियों में टिकट दावेदारों की लंबी फौज तैयार है…बीजेपी से वर्तमान विधायक उमादेवी खटीक टिकट की प्रबल दावेदार हैं..इसके अलावा रामकली तंतवाय और  रिटायर्ड आईजी आलोक अहिरवार भी संभावित उम्मीदवारों में शामिल हैं। 

वहीं कांग्रेस में भी हालात कमोबेश बीजेपी वाली ही है…कमलनाथ खेमे से आने वाले प्रदीप खटीक का नाम टिकट की रेस में सबसे आगे है..वहीं अनीता खटीक और अरुणा तंतवाय भी हटा से कांग्रेस की दावेदारी जता रही है। 

कुल मिलाकर हटा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों में ही टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है…और चुनावी जंग वही जीतेगा ..जो पार्टी टिकट को लेकर हो रहे अंदरूनी घमासान को सुलझा लेगा।

हटा विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे

और अब बात हटा के मुद्दों की…हटा विधानसभा क्षेत्र में विकास की रफ्तार तो छोड़िए पानी, बिजली, और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है जनता… शिक्षा और रोजगार जैसे मोर्चे पर फेल नजर आता है हटा…कुल मिलाकर आने वाले चुनाव में यहां एक नहीं कई समस्याएं चुनावी मुद्दा बनकर गूंजेंगे

हटा ने मध्यप्रदेश की राजनीति को कई सियासी दिग्गज दिए हैं..लेकिन आज भी ये इलाका मूलभूत समस्याओँ से जूझ रहा है…यहां पानी, बिजली, स्वास्थ्य और बेरोजगारी अहम मुद्दा है। हटा की जीवनदायिनी कही जानी वाली सुनार और व्यारमा नदी में बेहतर जल संरक्षण योजना नहीं है…जिसकी वजह से क्षेत्र के लोगों को गर्मी के दिनों में जल संकट और बरसात के दिनों में बाढ़ जैसी स्थिति से जूझना पड़ता है..करोड़ो रुपए खर्च करने के बावजूद पंचमनगर परियोजना के पूरा नहीं होने से…सिंचाई के लिए किसानों को परेशान होना पड़ता है।  क्षेत्र के आदिवासी अंचलों में कई ऐसे क्षेत्र हैं जो पीने के पानी के लिए कई किमी का सफर रोज तय करते हैं। शिक्षा की बात करें तो यहां प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक का बुरा हाल है । हटा में स्थित एकमात्र कॉलेज में बेहतर शिक्षा और प्रोफेशनल कोर्सेस की कमी के चलते छात्रों को दूसरे शहरो का रूख करना पड़ता है। इसी तरह क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं भी अपना दम तोड़ रही हैं..अस्पताल में डॉक्टरों और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते मरिजों को दमोह जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। और तो और महिला डॉक्टरों की कमी की वजह से महिला मरिजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां स्थानीय स्तर पर कोई रोजगार के साधन नहीं होने की वजह से युवाओं को काम के तलाश में पलायन करना पड़ता है। काम के तलाश में क्षेत्र के कम पढ़े लिखे और ग्रामीण आदिवासी मजदूरी के लिए महानगरों की ओर भटकने को मजबूर हैं। कुल मिलाकर आने वाले चुनावों में जनता की नजर उन प्रत्याशियों पर रहेगी जो उनकी परेशानियों को समझे और कोई हल निकाल सके।

अब बात करते हैं शुजालपुर विधानसभा क्षेत्र के बारे

शुजालपुर विधानसभा क्षेत्र की सियासत

विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है ऐसे में शुजालपुर में सियासी दल भी एक्टिव मूड में नजर आने लगे हैं..इसके साथ ही विधायक की टिकट की आस लगाए नेता भी अब सक्रिय हो चले हैं…बीजेपी में दावेदारों की लंबी लाइन लगी है तो वहीं कांग्रेस में भी टिकट के लिए दावेदार अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं । चुनाव का वक्त नजदीक आते ही शुजालपुर में सियासी हलचल तेज हो चली है.. टिकट के लिए दावेदार जोड़ तोड़ में जुट गए हैं..कभी कांग्रेस की गढ़ माने जाने वाली शुजालपुर में जाति समीकरण को साधे बिना जीत हासिल करना आसान नहीं है..इस सीट पर परमार समाज के 20 हजार मतदाता है जो हमेशा से निर्णायक भूमिका में रहे है..वहीं राजपूत समाज के 22 हजार मतदाता को  नाराज करना भी पार्टियों को भारी पड़ता है…वैसे शुजालपुर की सियासत की बात की जाए तो 1998 में कांग्रेस के केदारसिंह मंडलोई करीब 15 हजार मतों से जीते थे…2003 में बीजेपी के फुलसिंह मेवाड़ा करीब 25 हजार वोटो से चुनाव जीते थे..2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से जसवंत सिंह हाड़ा ने कांग्रेस के महेंद्र जोशी को 10414 मतों से परास्त किया…और 2013 में एक बार फिर बीजेपी से जसवंत सिंह हाड़ा ने महेंद्र जोशी को 8656 मतों से शिकस्त दी…

आगामी चुनाव की बात करें तो जसवंत सिंह हाड़ा एक बार फिर बीजेपी से टिकट के सबसे मजबूत दावेदार हैं..इसक अलावा विजेंद्र सिंह सिसौदिया भी प्रबल उम्मीदवार है…वहीं कांग्रेस में 2008 और 2013 मं पार्टी उम्मीदवार महेंद्र जोशी टिकट के प्रबल उम्मीदवार है..वहीं  योगेंद्र सिंह बंटी और पूर्व विधायक केदार सिंह मंडलोई भी कांग्रेस से अपना दावा पेश कर रहे है…कुल मिलाकर आने वाले चुनाव में शुजालपुर की सियासत में खूब उठापटक होने वाला है। और जिसने चुनावी मैदान में सही उम्मीदवार उतारा..उसके जीतने का चांस ज्यादा होंगे।

शुजालपुर के प्रमुख मुद्दे

शाजापुर जिले में आनेवाली शुजालपुर विधानसभा की ज्यादातर आबादी ग्रामीण इलाकों में रहेती है.. ग्रामीण परिवेश होने के कारण यहां की जनता आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। क्षेत्र में कोई बड़ा अस्पताल नहीं होने की वजह से मरीजों को भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों की ओर जाना पड़ता है। कई इलाके आज भी सड़क मार्ग से दूर हैं..जिससे क्षेत्र के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्षेत्र में ट्रैफिक की सुविधा नहीं होने की वजह से लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। किसानों की बात करें तो भावांतर योजना के भुगतान को लेकर भी किसान सरकार से खासे नाराज दिख रहे हैं। शुजालपुर के शिक्षा व्यवस्था की बात करें तो स्कूल में शिक्षकों की कमी छात्र दो चार हो रहे हैं। 

कुल मिलाकर शुजालपुर में मुद्दों की कोई कमी नहीं है..और विधायक जसवंत सिंह हाड़ा को चुनाव के दौरान मतदाताओं के कई सवालों के जवाब देने होंगे.. वहीं इन समस्याओं के लिए कांग्रेस भी बीजेपी विधायक को को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है।

 

वेब डेस्क, IBC24

 
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