जनता मांगे हिसाब: मलहरा और गोटेगांव की जनता ने मांगा हिसाब | IBC24 Special:

जनता मांगे हिसाब: मलहरा और गोटेगांव की जनता ने मांगा हिसाब

जनता मांगे हिसाब: मलहरा और गोटेगांव की जनता ने मांगा हिसाब

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : April 26, 2018/11:26 am IST

मलहरा विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति

अब बात करते हैं मध्यप्रदेश की मलहरा विधानसभा की…मलहरा का नाम राजनीती के इतिहास में उस वक्त देश में छा गया.. जब 2003 में भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती यहाँ से चुनाव जीतकर मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री बनी…मध्यप्रदेश में भाजपा के लिए मलहरा सीट क्यों है खास..और कांग्रेस यहां क्यों नहीं जीत पाती..ये बताएं आपको..लेकिन पहले सीट की भौगोलिक पृष्ठभूमि पर एक नजर…

छतरपुर जिले में आती है मलहरा विधानसभा

प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है क्षेत्र

लोहा, सोना और हीरे का अकूत भंडार

कुल मतदाता- करीब 2 लाख 

सीट पर पिछड़ा वर्ग के मतदाता का दबदबा

लोधी,राजपूत और यादव समाज के वोटर की संख्या अधिक

मलहरा विधानसभा क्षेत्र से उमा भारती रह चुकी हैं मुख्यमंत्री

फिलहाल सीट पर बीजेपी का कब्जा

बीजेपी की रेखा यादव हैं वर्तमान विधायक

मलहरा विधानसभा की सियासत

भाजपा की परंपरागत सीट रही मलहरा में 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी तिलक सिंह लोधी ने भाजपा प्रत्याशी रेखा यादव को कांटे की टक्कर दी थी..और तिलक सिंह महज 2200 वोट से चुनाव हार गए थे.. मलहरा के सियासी समीकरण की बात करें तो अभी तक जो भी इस सीट से चुनाव जीता है वो बाहरी प्रत्याशी रहा है.. स्थानीय प्रत्याशी की उपेक्षा भाजपा और कांग्रेस करती रही है..आने वाले चुनाव को लेकर भी यहां पर दावेदारों की लम्बी लाइन है। 

मलहरा विधानसभा की राजनीति में अगर किसी का राज चलता है तो ..वो हैं मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का..जी हां उमा ने मलहरा विधानसभा सीट पर जिसको चाहा उसको टिकट मिला और वो चुनाव जीतकर विधानसभा पंहुचा है। फिलहाल बीजेपी के टिकट पर रेखा यादव सीट से लगातार दो बार से विधायक है..।  मलहरा विधानसभा सीट वैसे तो भाजपा की परंपरागत सीट रही है..लेकिन यहां का चुनावी समीकरण काफी दिलचस्प रहा है..इस सीट पर जीत उसी को मिलती है..जो यादव और लोधी वोटर का तालमेल बैठाने में सफल होता है। उमा भारती अभी तक इन्हीं दो जातियों के वोट बैंक के दम पर अपनी राजनीति करती रही है..इनके अलावा लोधी वोटर भी हमेशा उमा के साथ रहा है। अब जब चुनावी साल है तो दावेदार अपनी अपनी ताकत दिखाकर क्षेत्र में जनता के बीच पकड़ बनाने में जुटे है, चुनाव भले ही साल के अंत में होने है लेकिन दावेदार पूरी तरह से चुनाव प्रचार में जुट गए हैं.. लेकिन अभी तक जो मलहरा सीट से चुनाव जीता है वो बाहरी प्रत्याशी रहा है..ऐसे में कांग्रेस और भाजपा इस बार भी बाहरी उम्मीदवारों पर भरोसा करेगी..सबकी निगाहें टिकी है..हालांकि दोनों पार्टियों में  टिकट दावेदारों की लम्बी लाइन है.. भाजपा के प्रमुख दावेदारों की बात करें तो वर्तमान विधायक रेखा यादव का दावा सबसे मजबूत नजर आ रहा है..इनके अलावा सुनील मिश्रा,  सुरेंद्र प्रताप सिंह,   सरोज राजपूत और सांसद प्रहलाद पटेल भी दावेदार हो सकते है..स्थानीय प्रत्याशी में दंगल सिंह परमार भी टिकट की रेस में शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में  तिलक सिंह लोधी नगर पंचायत घुवारा की अध्यक्ष अरुणा राजे, समाजसेवी हरिकेश दुबे,  वीर सिंह परमार,  मंजुला देबाड़िया और राम सिया भारती दावेदारी कर रहे हैं। 

मलहरा विधानसभा के प्रमुख मुद्दे

छतरपुर जिले की मलहरा विधानसभा क्षेत्र ने भले ही 2003 में प्रदेश को मुख्यमंत्री दिया हो..लेकिन समस्याएं हैं कि आज भी लोगों के सामने जस की तस है। वर्तमान में भी सीट पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की ही विधायक है..लेकिन पूरे इलाके में पेयजल संकट गहराया हुआ है.. कई गांव आज भी पहुंच मार्ग विहीन है.. बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओ के अलावा यहां की जनता आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है 

छतरपुर जिले में आने वाली मलहरा विधानसभा क्षेत्र में प्राकृतिक और खनिज संसाधनों का खजाना है..यहां लोहा, सोना और हीरे के साथ यूरेनियम के होने के संकेत भी मिले हैं…इसके अलावा मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इस क्षेत्र से विधायक रह चुकी हैं…लेकिन बावजूद इसके ये क्षेत्र विकास से कोसो दूर है…पेय जल की गंभीर समस्या से जूझ रही है मलहरा की जनता..मलहरा में पीने के पानी के लिए करोड़ों रुपए खर्ज कर पानी की टंकी तो बना दी गई लेकिन लोगों को अभी तक पानी की समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया…दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाए तो बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क और बिजली के लिए भी जनता तरसती है….स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते छात्र शिक्षा से वंचित हो रहे हैं….क्षेत्र के विधायक के प्रति लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिलता है.. स्थानीय लोगों का आरोप है कि लगातार दूसरी बार विधायक चुने जाने के बावजूद उन्होने विकास के कोई काम नहीं किए हैं…विधायक की निष्क्रियता के चलते उन्हें सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल पाता है..सड़कों की बात करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क की सुविधा नहीं होने से ग्रामीणों को शहर तक आने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है..जिला सहकारी बैंक में किसानों के नाम पर करोड़ों के घोटाले को लेकर भी जनता में नाराजगी है। अब देखना ये है कि मलाहरा क्षेत्र की जनता आगामी चुनाव में किस पर अपना विश्वास दिखाती है। और कौन सी पार्टी यहां बाजी मारती है।

गोटेगांव की भौगोलिक स्थिति

अब  बात करते हैं मध्यप्रदेश की गोटेगांव विधानसभा की..

नरसिंहपुर जिले में आती है गोटेगांव विधानसभा

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र

ST वर्ग के लिए आरक्षित है सीट

ज्योतिष मठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की तपोभूमि 

कुल मतदाता- 1 लाख 86 हजार 702 

पुरुष मतदाता- 98 हजार 410 

महिला मतदाता-  88 हजार 292

फिलहाल सीट पर बीजेपी का कब्जा

बीजेपी के कैलाश जाटव हैं विधायक

गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र की सियासत

गोटेगांव विधानसभा की सियासत पर नजर डाले.. तो यहां की सियासत बड़ी ही दिलचस्प है और यहां का मतदाता किसी भी पार्टी पर ज्यादा देर तक विश्वास नहीं करता है.. यही वजह है कि हर चुनाव में यहां के मतदाता अपने जनप्रतिनिधि को बदल देते हैं.. गोटेगांव विधानसभा आदिवासी बाहुल्य होने के बावजूद भी यहां की जनता सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के ही प्रत्याशी को अपना जनप्रतिनिधि चुनती आई है..

लगातार अपना प्रतिनिधि बदलने की गोटेगांव के मतदाता की फितरत हर बार यहां के चुनाव को दिलचस्प बना देती है।  वर्तमान विधायक कैलाश जाटव की बढ़ती लोकप्रियता कांग्रेस के लिए चिंता का विषय जरूर है.. लेकिन कांग्रेस के NP प्रजापति की बात की जाए तो उनके पास भी आदिवासी वोट बैंक का बहुत बड़ा हिस्सा लगभग आरक्षित है…लेकिन पिछले 4 सालों में विधानसभा क्षेत्र में पूर्व विधायक एमपी प्रजापति कम ही नजर आए हैं जिसका लाभ वर्तमान विधायक को मिलने के आसार नजर आते हैं प्रदेश सरकार की घटती लोकप्रियता कहीं कैलाश जाटव के विकास कार्य में विपरीत प्रभाव ना छोड़ दे.. इसको लेकर वर्तमान विधायक भी आदिवासी क्षेत्रों के लगातार दौरे भी करते आ रहे हैं।  मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ नाम से निकाली गई यात्रा ने कैलाश जाटव के कद को भी बढ़ाया है खुद मंच से बीजीपी नंदकुमार चौहान उन्हें आगामी विधानसभा प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा 1 साल पूर्व भी कर चुके हैं…इसके अलावा 

वर्तमान समय मे बीजेपी की ओर से अन्य कोई बड़ा अनुसूचित जाति का नेता नही दिखता.. यही वजह कि वर्तमान विधायक को टिकट मिलना तय माना जा रहा है.. ऐसे में इस बार कांग्रेस उन्हें हराने के लिए किस पर दांव आजमाएगी ये देखने वाली बात है.. हालांकि कांग्रेस के पास भी पूर्व विधायक एनपी प्रजापति के अलावा कोई दूसरा विकल्प नजर नही आता ।

गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे

गोटेगांव विधानसभा की राजनीति हमेशा से लोगों पर हावी रही है.. बाहुबलियों का गढ़ कहे जाने वाले गोटेगांव में शासन प्रशासन अवैध खनन माफियाओं के आगे नतमस्तक नजर आता है… खुलेआम नर्मदा से अवैध उत्खनन आम बात है.. स्वास्थ्य सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर है..वहीं आदिवासियों को अपने हक के लिए संघर्ष करना पड़ता है.. गांवों में पेयजल की समस्या भी लंबे समय से है

नरसिंहपुर की गोटेगांव विधानसभा मध्य प्रदेश के पिछडे इलाकों में शुमार है..यहां की अधिकांश आवादी खेती पर निर्भर है.. हर बार चुनाव से पहले यहां नेता बड़े वादे तो करते है..लेकिन विकास के नाम पर कुछ खास काम नजर नहीं आता…आज भी यहां के आदिवासियों को अपने हक के लिए संघर्ष करना पड़ता है..

खेती के अलावा कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं होने से रोजगार के लिए युवाओं को बाहर का रुख करना पड़ता है..कई इलाकों  में सरकारी योजनाओं की पहुंच नहीं के बराबर है जिसकी वजह से विकास की गति धीमी नजर आती है,, आम जनता को आए दिन विकास और बुनियादी सुविधाओं के लिए आंदोलन धरना प्रदर्शन करना पड़ता है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी गोटेगांव सबसे पिछड़ा है.. सामुदायिक केंद्र वार्ड बायज के भरोसे है.. डाक्टरों की कमी के चलते आपातकालीन सेवाओ से गोटेगांव की जनता महरूम रहती है.. शिक्षा के लिए क्षेत्र में आज तक  बड़े स्कूल कॉलेज नहींं खुले..छात्र छात्राओं को जिला मुख्यालय और दूसरे जिलों में  जाना पड़ता है।खेती को लाभ का धंधा कहने वाली सरकार के राज में किसान परेशान है उसे उसकी ही उपज का वाजिब दाम नही मिलता और बिचोलिये चांदी काटते है। 

 

वेब डेस्क, IBC24

 
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