जनता मांगे हिसाब: बुनियादी सविधाओं का मोहताज सारंगढ़ | IBC24 Special:

जनता मांगे हिसाब: बुनियादी सविधाओं का मोहताज सारंगढ़

जनता मांगे हिसाब: बुनियादी सविधाओं का मोहताज सारंगढ़

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:53 PM IST, Published Date : May 22, 2018/12:20 pm IST

जनता मांगे हिसाब के सफर की शुरुआत करते हैं छत्तीसगढ़ की सारंगढ़ विधानसभा से…सारंगढ़ की सियासी बिसात और मुद्दों की बात करें इससे पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर…

रायगढ़ जिले में आती है विधानसभा सीट

जनसंख्या- 3 लाख 50 हजार

कुल मतदाता- 2 लाख 39 हजार 564

महिला मतदाता- 1 लाख 19 हजार 669

पुरुष मतदाता- 1 लाख 19 हजार 895

458 गांव और 218 ग्राम पंचायत शामिल

SC मतदाता सबसे ज्यादा

वर्तमान में विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा

केराबाई मनहर हैं बीजेपी  विधा

सारंगढ़ की सियासत

सारंगढ़ विधानसभा सीट सियासी नजरिए से बेहद अहम मानी जाती है…इस विधानसभा सीट पर वर्तमान में भले बीजेपी का कब्जा हो लेकिन कभी इस पर कांग्रेस तो कभी बीएसपी भी काबिज रही है…अब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो जीत हार के समीकरण बैठाने में जुट गए हैं सियासी दल…इसके साथ ही शुरु हो गई है विधायक की टिकट की रेस ।

एक दौर था जब राज परिवार का सारंगगढ़ की सियासत में दबदबा था..सारंगढ़ की सियासी पृष्ठभूमि की बात करें तो वैसे तो ये कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन 1998 और 2003 में बीएसपी ने विधानसभा सीट पर अपना कब्जा जमाया…लेकिन 2008 में एक बार फिर कांग्रेस की पदमा मनहर ने जीत दर्ज की…बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी की केराबाई मनहर ने जीत का परचम लहराया…अब एक बार फिर चुनाव की रणभेरी बजने वाली है…तो ऐसे में चुनावी रंग में रंगने लगा है सारंगढ़..इसके साथ ही विधायक की टिकट की रेस भी शुरु हो गई है.

बात बीजेपी की करें तो टिकट की लाइन लंबी नजर आती है… दावेदारों में सबसे पहला नाम है वर्तमान विधायक केराबाई मनहर का…तो वहीं अरविंद हरिप्रय और नंदनी वर्मा भी दावेदार हैं..इसके अलावा पुनितराम चौहान, मनोज लहरे, भरत जाटवर, विरेंद्र निराला, जीवन रात्रे, देवेंद रात्रे, मिरा धरम जोल्हे और भरत भूषण जोल्हे टिकट की दौड़ में शामिल हैं…बीजेपी की तरह ही कांग्रेस में भी टिकट के दावेदारों की लाइन लंबी है..दावेदार में सबसे आगे हैं पूर्व विधायक पदमा मनहर तो वहीं घनश्याम मनहर भी दावेदार है..इसके अलावा गनपत जांगडे, उत्तरी जांगडे, विजय बसंत, शिव टंडन, सरीता मल्होत्रा, रामदयाल कुर्रे और विनोद भारद्वाज भी दावेदारों में शामिल हैं..बीजेपी और कांग्रेस में तो दावेदार सक्रिय दिखाई दे रहे हैं लेकिन सारंगढ़ में बसपा और JCCJ से दावेदारों के नाम अब तक सामने नहीं आए हैं ।

सारंगढ़ के मुद्दे 

विकास की रफ्तार में कोई इलाका कैसे पिछड़ता है.. और लगातार पिछड़ते चला जाता है. इसका सारंगढ़ से बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता…आज भी ये इलाका बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है ।

सारंगढ़ की तुलना आज अगर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करें तो ये बेतुका लगेगा. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि अविभाजित मध्यप्रदेश के ये तीनों शहर एक साथ नगर पालिका बनाए गए थे. लेकिन सारंगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार हुआ और वो विकास की राह में पिछड़ता चला गया. 

2000 में जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तो एक उम्मीद जगी थी कि छोटे राज्य में अब सारंगढ़ बड़ी ऊंचाई तय करेगा. लेकिन 18 साल बाद अब तो यहां के लोग ये उम्मीद भी छोड़ चुके हैं.

ये विधानसभा क्षेत्र सड़क, बिजली और पानी की बजाए पहचान की लड़ाई लड़ रहा है. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही सारंगढ़ को जिला बनाने की मांग उठती आई है. लेकिन हर पार्टी ने इस शहर.. इस क्षेत्र को बस दिलासे दिए हैं. दूसरों का क्या कहें.. ये तो अपनों की ही बेरुखी का शिकार ज्यादा है. यहां के लोग मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक हर बड़े ओहदे पर गए.

लेकिन वापस मुड़ कर नहीं देखा..फिलहाल यहां से बीजेपी के विधायक हैं. बीच में सुनाइ दिया था कि सारंगढ़ को रेलवे लाइन की सौगात मिलने वाली है. लेकिन अब उसका भी रुख शायद मोड़ दिया गया है. मतदाता असमंजस की स्थिति में हैं. बीजेपी सरकार में जब बीजेपी के विधायक काम नहीं करा पा रहे हैं… तो अब किसे चुनें.  

वेब डेस्क, IBC24