जनता मांगे हिसाब के सफर की शुरुआत करते हैं छत्तीसगढ़ की अकलतरा विधानसभा सीट से..सियासी बिसात और मुद्दों से पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर.
जांजगीर-चांपा जिले में आती है विधानसभा सीट
कुल मतदाता-1 लाख 98 हजार 495
पुरुष मतदाता-1 लाख 2 हजार 440
महिला मतदाता-96 हजार 55
1 नगर पालिका और 1 नगर पंचायत विधानसभा में शामिल
विधानसभा क्षेत्र में 2 ब्लॉक और 124 गांव
वर्तमान में विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा
चुन्नीलाल साहू हैं कांग्रेस विधायक
अकलतरा विधानसभा की सियासत
अकलतरा विधानसभा सीट पर वर्तमान में भले कांग्रेस का कब्जा हो लेकिन इस बार कांग्रेस को जीत इतनी आसान नहीं होगी..क्योंकि बीजेपी और बीएसपी के साथ इस बार चुनौती JCCJ की होगी..चुनावी समर में उतरने की तैयारी में जुट गई हैं पार्टियां और शुरु हो गई है विधायक की टिकट की रेस ।
अकलतरा विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेज तो काबिज रही है बीएसपी ने भी जीत का परचम लहरया है…सियासी इतिहास में झांकें तो 1993 और 1998 में बीजेपी के छतराम देवांगन ने जीत हासिल की….2003 में कांग्रेस के रामाधार कश्यप ने बीजेपी के छतराम देवांगन को शिकस्त दी, लेकिन रामाधार कश्यप के राज्यसभा में जाने से 2004 में उपचुनाव में बीजेपी ने फिर कब्जा जमाया… इसके बाद 2008 में बसपा से सौरभ सिंह ने जीत दर्ज की….और फिर 2013 के विधानसभा में चुनाव में कांग्रेस के चुन्नीलाल साहू ने बीजपी के दिनेश सिंह को शिकस्त दी…अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो चुनावी रंग में रंगने लगा है अकलतरा…इसके साथ ही विधायक की टिकट के दावेदार भी सामने आने लगे हैं…बात कांग्रेस की करें तो वर्तमान विधायक चुन्नीलाल साहू सबसे प्रबल दावेदार हैं…तो वहीं पूर्व विधायक राकेश सिंह के बेटे राघवेंद्र सिंह भी दावेदारों में शामिल हैं…अब बात बीजेपी की करें तो दावेदारों की लिस्ट लंबी हैं…दावेदारों में दिनेश,पूर्व विधायक सौरभ सिंह सबसे आगे हैं..इसके अलावा कल्याणी साहू, इमरान खान, महेंद्र दुबे,और रमेश वैष्णव दावेदारोंमें शामिल हैं.
अकलतरा के मुद्दे
अकलतरा में विकास का पहिया थमा नजर आता है…कहने को उद्योग हैं लेकिन रोजगार नहीं..स्कूल हैं तो शिक्षक नहीं..अस्पताल हैं तो डॉक्टर नहीं कुछ ऐसे ही हाल है अकलतरा विधानसभा के ।
अकलतरा में उद्योग तो लगे लेकिन लोगों को रोजगार नहीं मिला..अगर मिला तो सिर्फ और सिर्फ प्रदूषण…हवा से लेकर पानी तक प्रदूषित है…तो वहीं केएसके महानदी प्लांट क्षेत्र के भू-विस्थापित आज भी स्थायी नौकरी के लिए आंदोलन करने को मजूबर हैं…इसके अलावा पत्थर खदानों में अवैध ब्लास्टिंग भी एक बड़ी समस्या है..अकलतरा में किसान भी कई समस्याओं से घिरे नजर आते हैं..प्रदेश में सबसे ज्यादा सिंचित माने जाने वाले बलौदा तहसील के 35-40 गांव में हजारों एकड़ खेत प्यासे हैं क्योंकि सिंचाई के पर्याप्त साधन हैं ही नहीं…इलाके की पहचान माने जाने वाले कोटमी सोनार क्रोकोडाइल पार्क आज भी जरुरी संसाधनों की कमी से जूझ रहा है..कोटमी सोनार रेलवे स्टेशन में एक्सप्रेस ट्रेनों के स्टॉपेज की मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी है…इसके अलावा बलौदा में बायपास स्वीकृति के बाद भी हालात जस के तस हैं…अकलतरा विधानसभा में पेयजल संकट से भी दो-चार हो रहे हैं लोग…इन सबके बीच शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में भी पिछड़ा नजर आता है अकलतरा ।
वेब डेस्क, IBC24
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