अब बात करते हैं बैतूल जिले की मुलताई विधानसभा की. जानेंगे क्या कहती है मुलताई की जनता और कौन से मुद्दे आने वाले चुनाव में गूंजेंगे….पर पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर.
बैतूल जिले में आती है विधानसभा सीट
जनसंख्या- 3 लाख 22 हजार 484
पुरुष मतदाता- 1 लाख 8 हजार 469
महिला मतदाता- 97 हजार 833
ओबीसी मतदाता- 60 फीसदी
अन्य मतदाता- 40 फीसदी
महाराष्ट्र की सीमा से लगा है क्षेत्र
ताप्ती नदी का उद्गम स्थल
वर्तमान में विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा
बीजेपी के चंद्रशेखर देशमुख हैं विधायक
मुलताई की सियासत
मुलताई विधानसभा में अब तक हुए चुनाव में कांग्रेस ने 5 बार जीत दर्ज की तो 2 बार बीजेपी ने..वहीं सपा 1 बार तो निर्दलीय विधायक 6 बार विजय रहे…अब चुनाव नजदीक हैं तो चुनावी तैयारियों में जुट गई हैं पार्टियां ।
कभी बीजेपी ने जीत का परचम लहराया तो कभी कांग्रेस ने कब्जा जमाया…सपा और निर्दलीय भी इस विधानसभा सीट पर काबिज रहे ऐसा सियासी इतिहास रहा है मुलताई का…1998 में किसान नेता बनकर उभरे डॉक्टर सुनीलम ने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत दर्ज की…2003 में एक बार फिर डॉक्टर सुनीलम ने सपा से चुनाव लड़ा और दूसरी बार विधायक चुने गए…लेकिन 2008 में कांग्रेस के सुखदेव पांसे ने जीत का झंडा लहराया…इसके बाद 2013 में बीजेपी के चंद्रशेखर देशमुख ने विजय हासिल की।
अब फिर विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो ऐसे में सक्रिय हो गए सियासी दल और शुरु हो गई है टिकट की दावेदारी…बात बीजेपी की करें तो वर्तमान विधायक चंद्रशेखर देशमुख दावेदारों में सबसे आगे हैं…तो वहीं हेमंत विजय राव देशमुख भी दावेदार माने जा रहे हैं..इसके अलावा राजा पवार और राजू पवार भी टिकट की दौड़ में हैं..अब बात कांग्रेस की करें तो पूर्व विधायक सुखदेव पांसे सबसे प्रबल दावेदार हैं…तो वहीं पूर्व विधायक पंजाब राव बोडखे भी दावेदार हैं…इसके अलावा सपा और बीएसपी में भी दावेदारों की लाइन लगी है ।
मुलताई के मुद्दे
मुलताई विधानसभा एक नहीं कई समस्याओं से घिरी नजर आती है..शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार सभी मोर्चों पर फेल है मुलताई..विकास की तस्वीर क्या होगी मुलताई में इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है की पीने के पानी तक के लिए तरस रहे हैं लोग ।
खेती बनेगी लाभ का धंधा..किसानों की आय होगी दोगुनी, इन दावों की हकीकत मुलताई में दिखाई देती है..हालत ये है की दोगुनी आय तो छोड़िए लागत मूल्य तक के लिए तरस रहा है किसान..कहने को तो किसानों के लिए सरकारी दस्तावेजों में योजनाएं बनीं लेकिन धरातल पर उतर ही नहीं सकी..अगर उतरती तो किसान संकटों से घिरा नजर नहीं आता..खाद और बीज तक के लिए तरस रहा है अन्नदाता.. तो वहीं ताप्ती नदी का उद्गम स्थल होने के बावजूद किसानों के खेत प्सासे हैं.
इन सबके अलावा पेयजल संकट से भी लोग दो चार हो रहे हैं….मुलताई में स्वास्थ्य सुविधाएं भी बदहाल हैं..अस्पतालों में डॉक्टरों और संसाधनों की कमी के चलते मरीज इलाज के लिए बड़े शहर जाने को मजबूर हैं..स्वास्थ्य के साथ शिक्षा के मोर्च पर भी फेल है मुलताई.. इसके अलावा बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है..क्षेत्र में कोई बड़े उद्योग नहीं होने की वजह से युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। सरकार ने तहसील स्तर पर कौशल विकास केंद्र तो खोल दिए हैं…लेकिन रोजगार फिर भी नहीं मिल पा रहा है ।
वेब डेस्क, IBC24
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