जनता मांगे हिसाब: आमला की जनता ने IBC24 की चौपाल में रखी अपनी समस्याएं | IBC24 Special:

जनता मांगे हिसाब: आमला की जनता ने IBC24 की चौपाल में रखी अपनी समस्याएं

जनता मांगे हिसाब: आमला की जनता ने IBC24 की चौपाल में रखी अपनी समस्याएं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:17 PM IST, Published Date : May 26, 2018/10:44 am IST

अब बात मध्य प्रदेश की आमला विधानसभा सीट की..सियासी बिसात और मुद्दों से पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर.

बैतूल जिले में आती है विधानसभा सीट

कुल जनसंख्या-3 लाख 45 हजार 721

कुल मतदाता-2 लाख 11 हजार 777

पुरुष मतदाता-1 लाख 10 हजार 245

महिला मतदाता-1 लाख 15 सौ 29

वर्तमान में विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा

चैतराम मानेकर हैं बीजेपी विधायक

आमला विधानसभा की सियासत

आमला में अब तक 9  बार विधानसभा चुनाव हुए…जिसमें 5 बार बीजेपी का कब्जा रहा तो 4 बार कांग्रेस का..वर्तमान में ये विधानसभा सीट बीजेपी के पास है…अब एक बार फिर चुनावी समर की तैयारियों में जुट गई हैं पार्टियां और सक्रिय हो गए हैं विधायक की टिकट के दावेदार । 

2013 के चुनावी समर में बीजेपी ने आमला विधानसभा सीट पर बड़ी जीत दर्ज की थी…बीजेपी के चैतराम मानेकर ने कांग्रेस की सुनीता बेले को 39 हजार 602 मतों से करारी शिकस्त दी थी…अब उसी हार का बदला लेने के इरादे से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है कांग्रेस तो वहीं बीजेपी इस बार जीत बरकरार रखने की रणनीतियां बनाने में जुट गई है.

इसके साथ ही विधायक की टिकट के लिए दावेदारी भी शुरु हो गई है…बात बीजेपी की करें तो वर्तमान विधायक चैतराम मानेकर सबसे प्रबल दावेदार हैं…तो वहीं अशोक नागले और नगर पालिका अध्यक्ष लाजवंती नागले भी दावेदार हैं..इसके अलावा डॉ योगेश पंडाग्रे भी टिकट की आस में हैं…अब बात कांग्रेस की करें तो  पूर्व विधायक सुनीता बेले का नाम दावेदारों में सबसे आगे है…इसके अलावा मनोज मालवे ,सीमा अतुलकर और महेंद्र भर्ती भी दावेदार हैं ।

आमला विधानसभा के मुद्दे

उद्योग हैं लेकिन रोजगार नहीं…स्कूल हैं पर शिक्षक नहीं…अस्पताल भी हैं लेकिन डॉक्टर नहीं कुछ ऐसा ही हाल है आमला विधानसभा सीट का ।एक नहीं कई समस्याओं से जूझ रही है जनता

सतपुड़ा पावर प्लांट और कोयला खदानें होने के बाद भी आमला में रोजगार के लिए भटक रहे हैं लोग..नतीजा बेरोजगारी के चलते पलायन थम नहीं रहा है…विधानसभा में किसान भी संकटों से घिरा नजर आता है..कहने को तो जलाशयों का निर्माण किया गया है लेकिन फिर भी किसानों के खेत प्यासे हैं.

इसके अलावा किसान खाद-बीज के लिए भी दर-दर भटकता नजर आता है…किसानों के लिए योजनाएं तो बहुत बनी लेकिन वो योजनाएं किसानों तक पहुंच ही नहीं पा रही हैं..आमला में रेलवे की कोच फैक्ट्री स्थापित करने के लिए सर्वे तो जरुर किया गया लेकिन हुआ कुछ नहीं…इसके अलावा बिजली की भी एक बड़ी समस्या है…गांव से लेकर कस्बों तक पेयजल संकट से भी जूझ रहे हैं लोग…इन सबके बीच शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी आमला में बदहाल नजर आती है ।

 

 

वेब डेस्क, IBC24

 
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