जनता मांगे हिसाब के सफर की शुरुआत करते हैं छत्तीसगढ़ की बिल्हा विधानसभा सीट से। सियासी बिसात और मुद्दों की बात करें इससे पहले विधानसभा की प्रोफाइल पर एक नजर
बिलासपुर जिले में आती है विधानसभा सीट
प्रदेश की बड़ी विधानसभा क्षेत्रों में शामिल
मतदाता-करीब 2 लाख 60 हजार
कुर्मी,लोधी,यादव और साहू मतदाता करीब 45 फीसदी
ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता 30 फीसदी
अन्य मतदाता करीब 25 फीसदी
बिल्हा से वर्तमान विधायक हैं सियाराम कौशिक
बिल्हा विधानसभा की सियासत
बिल्हा विधानसभा सीट सियासी नजरिए से बेहद अहम है..इस बार के चुनाव में बिल्हा की सियासी बिसात कुछ अलग नजर आ सकती है क्योंकि चुनावी समर में बीजेपी कांग्रेस ही नहीं बल्कि JCCJ और आप भी चुनौती पेश करेगी ।
विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक की सीट होने की वजह से बिल्हा को वीआईपी सीट का दर्जा हासिल है. हालांकि पिछले चुनाव में धरमलाल कौशिक इस सीट से हार गए थे.
लेकिन उनके रहते बीजेपी से कोई दूसरा इस सीट का दावेदार नहीं हो सकता. यहां के मौजूदा विधायक सियाराम कौशिक कांग्रेस छोड़कर जोगी कांग्रेस में चले गए हैं. इसबार जेसीसीजे से वहीं उम्मीदवार हो सकते हैं. कांग्रेस से पूर्व जिलाध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल की टिकट पक्की मानी जा रही है लेकिन पथरिया ब्लाक के कांग्रेस पंचायत नेता घनश्याम वर्मा भी अपनी पत्नी जागेश्वरी वर्मा के लिए जोर लगा रहे हैं
आम आदमी पार्टी पहली बार इस विधानसभा से चुनाव लड़ेगी. आप के लोकसभा प्रभारी जसबीर सिंह चावला यहां से उम्मीदवार हैं। हमेशा लीक से हटकर नतीजे देने वाली बिल्हा विधानसभा सीट इसबार भी सबको हैरान कर सकती है.
बिल्हा विधानसभा के मुद्दे
30 किलोमीटर में फैला बिल्हा विधानसभा क्षेत्र अलग अलग तरह की आबादी, क्षेत्रों, गांवों को अपने में समेटे हुए है.बिल्हा में मुद्दे, समस्याएं, शिकायतें भी अलग -अलग हैं. पथरिया इलाके में अभी भी सड़क, पानी और सरकारी योजनाओं का ठीक से लागू ना हो पाना बड़ी समस्या है सरगांव से बिल्हा और हिर्री तक के इलाके में अवैध उत्खनन पर भी लगाम नहीं लग पा रही है… खनिज माफियों ने चूना पत्थर, डोलोमाइट, मुरुम, मिट्टी के अवैध उत्खनन से पूरा इलाका उजाड़ दिया है.
बस्तियों में इसके कारण धूल, प्रदूषण, वाहनों की आवाजाही से लोग परेशान हैं.. हाईवे के किनारे बोदरी, चकरभाठा, हिर्री से आगे तक फोरलेन, फ्लाईओवर, सड़कें बनाने के लिए बड़े पैमाने पर खेतों का अधिग्रहण किया गया। मकान तोड़े गए, लेकिन मुआवजा अब तक नहीं मिल पाया है…इसके अलावा गांवों में राशन कार्ड,नहीं बन पाने से लोग परेशान. निराश्रित पेंशन का नहीं मिलना, मजदूरी का भुगतान नहीं होना जैसे मामले रोज सामने आते हैं…तो वहीं सिरगिट्टी, तिफरा इलाके में उद्योगों की जमीन पर बेजाकब्जा, उद्योगों का नहीं लग पाना, बेरोजगारी बड़ी समस्या है..इन सबके बीच विधानसभा में खेल मैदान की मांग भी सालों की जाती रही है जो अब तक पूरी नहीं हो सकी है ।
वेब डेस्क, IBC24
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