जनता मांगे हिसाब के सफर की शुरुआत करते हैं..छत्तीसगढ़ की कोटा विधानसभा से…सियासी समीकरण और समस्याओं से पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर
बिलासपुर जिले में आती है विधानसभा सीट
जनसंख्या-करीब 2 लाख 90 हजार
कुल मतदाता-1 लाख 92 हजार 323
महिला मतदाता-95 हजार 453
पुरुष मतदाता-96 हजार 860
वर्तमान में विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा
रेणु जोगी हैं कांग्रेस विधायक
जनता मांगे हिसाब के सफर की शुरुआत करते हैं..छत्तीसगढ़ की कोटा विधानसभा से…सियासी समीकरण और समस्याओं से पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर.
कोटा की सियासत
कोटा विधानसभा कांग्रेस का वो किला है जिसे बीजेपी अब तक ढहा नहीं पाई है…हर बार बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है…लेकिन इस बार हालात पहले से थोड़ा अलग दिखाई दे रहे हैं..अब तक बीजेपी और कांग्रेस में टक्कर होती आई है लेकिन अब मुकाबले में होगी JCCJ
कोटा विधानसभा कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है..वो इसलिए क्योंकि यही वो सीट है जहां से कांग्रेस 13 बार जीत दर्ज कर चुकी है…कोटा के सियासी अतीत में झांके तो 1952 से अब तक इस सीट पर कांग्रेस का ही परचम लहराता आ रहा है…कोटा सीट कांग्रेस के दिग्गजों की सियासी जमीन रही है…वर्तमान में कोटा से कांग्रेस विधायक हैं रेणु जोगी…अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरु हो गया है तो चुनावी रंग में रंगने लगी है।
कोटा विधानसभा…इसके साथ ही विधायक की टिकट की रेस भी शुरु हो गई है ।बात कांग्रेस की करें तो वर्तमान विधायक रेणु जोगी की जगह हो सकता है कांग्रेस किसी नए चेहरे को चुनावी मैदान में उतारे…कांग्रेस में दावेदार एक दो नहीं बल्कि पूरी की पूरी फौज है…जिसमें सबसे आगे हैं शैलेश पांडेय..इसके अलावा संदीप शुक्ला, उत्तम वासुदेव, और अरूण सिंह चौहान भी दावेदार हैं…अब बात बीजेपी की करें तो सबसे प्रबल दावेदार हैं।
काशीराम साहू..तो वहीं सुनील जायसवाल, पूरन छाबरिया, पवन पैकरा और विजय राठौर भी टिकट की लाइन में हैं…ये तो हुए बीजेपी और कांग्रेस के दावेदार…प्रदेश की नई नवेली पार्टी JCCJ भी इस बार चुनावी समर में होगी…JCCJ से अजीत जोगी या फिर ऋचा जोगी मैदान में हो सकती हैं ।
कोटा के मुद्दे
सूबे की सियासत में कोटा विधानसभा हाइप्रोफाइल सीटों में शुमार है..लेकिन विकास की रफ्तार सुस्त है..शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार के मोर्चों पर फेल नजर आता है कोटा । कोटा में सियासी चमक तो दिखाई देती है लेकिन विकास की चमक नजर नहीं आती…हर बार वादे और दावे तो किए गए लेकिन हुआ कुछ नहीं..पेंड्रा-गौरेला को जिला बनाने की मांग सालों की जाती रही है लेकिन अब तक पूरी नहीं हो सकी..पेंड्रा से निकलने वाली अरपा नदी भी प्रदूषण की मार झेल रही है।
इसके अलावा अरपा-भैंसाझार परियोजना 8 सालों से अब तक पूरी नहीं हो सकी है..कहने को तो विधानसभा में 9 बड़े जलाशय हैं लेकिन फिर भी किसानों के खेत प्यासे हैं..बिलासपुर से पेंड्रा आरएमकेके रोड की भी हालत खस्ता है..शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की भी हालत खराब है..स्कूल और अस्पताल दोनों की स्टॉफ की कमी से जूझ रहे हैं..कोटा के बैगा बाहुल्य गांव बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरस रहे हैं …विधानसभा में एक नहीं कई पर्यटक स्थल हैं लेकिन आज वो उपेक्षा के शिकार हैं ।
वेब डेस्क, IBC24
Deputy CM Vijay Sharma की सुरक्षा में बड़ी चूक PG…
14 hours agoपहले चरण में इन सीटों पर फसा पेंच | भाजपा…
15 hours agoएक ऐसा परिवार जो सुअर बेचकर लड़ता हैं चुनाव, कैसे…
15 hours ago