तीन साल पहले बहन का सम्मान होता देखकर 14 साल की लड़की ने तय किया कि किसी भी हाल में यह सम्मान उसे भी हासिल करना है। तीन साल तक वह इस सपने को जीती रही और मेहनत करती रही। उसकी इस जिद ने उसे आखिरकार यह सम्मान हासिल करवा ही दिया।
मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12वीं की परीक्षा में सागर जिले के रहली कस्बे में रहने वाले किराना व्यापारी सतीश राठौर की दूसरे नंबर की बेटी सुरुचि राठौर ने वर्ष 2016 की 12वीं कक्षा की परीक्षा में सागर जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। इसके फलस्वरूप सुरुचि को IBC24 स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप के तहत 50 हजार रुपए की राशि से सम्मानित किया गया था। तब समारोह में अपने माता-पिता के साथ सुरुचि की छोटी बहन मानसी राठौर भी आई थी, वह तब कक्षा नवमीं की छात्रा थी। बड़ी बहन को मिले सम्मान को देखने के बाद मानसी ने भी तय किया कि वह भी अपनी बड़ी बहन की तरह 12वीं में टॉप कर IBC24 स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप सम्मान हासिल करेगी। मानसी ने लक्ष्य भेद ही लिया और कक्षा 12वीं की परीक्षा 2019 में 479 अंक लेकर जिले में टॉप किया और IBC24 स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप की हकदार बन गई। मानसी राठौर ने कक्षा 12वीं में गणित समूह विषय में 479 अंक हासिल कर जिले में प्रथम स्थान हासिल कर समाज, माता-पिता और स्कूल का नाम रोशन किया है। रहली में संचालित सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 12वीं की छात्रा मानसी राठौर एक मध्यमवर्गीय परिवार से है जिसके पिता सतीश राठौर की किराना दुकान है। कक्षा 10वीं में भी प्रथम स्थान प्राप्त करने के बाद मानसी को उनके माता पिता और विद्यालय के शिक्षकों ने हौसला और उत्साह बढ़ाया जिसका परिणाम यह हुआ कि मानसी ने भी इस बात का निश्चय कर लिया था कि वह जिले में प्रथम स्थान हासिल करके रहेगी। लक्ष्य को पाने के लिए मानसी ने शिक्षकों के मार्गदर्शन में दिन-रात मन लगाकर पढ़ाई की। इस दौरान मानसी सोशल मीडिया से पूरी तरह से दूर रही और अपने लक्ष्य को साधते हुए अपनी मंजिल को पाने में लगी रही। मानसी को अपने ऊपर पूरा यकीन था कि वह जिले में जरूर प्रथम स्थान को हासिल करने में कामयाब रहेगी। मानसी को कक्षा 12वीं में मिले अच्छे अंक को देखते हुए राज्यपाल ने भी सम्मानित किया। रहली की सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य गंगाराम प्रजापति ने मानसी की कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि मानसी शुरू से ही पढ़ने लिखने में होशियार थी, जिसको विद्यालय ने परख लिया था और उसे इस कामयाबी के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास किया गया।