मजदूर की बेटी... कमाल का हौसला, पूजा वर्मा, खरगोन | IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2019 ,Pooja verma,khargone, madhya pradesh

मजदूर की बेटी… कमाल का हौसला, पूजा वर्मा, खरगोन

मजदूर की बेटी... कमाल का हौसला, पूजा वर्मा, खरगोन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 03:02 PM IST, Published Date : August 7, 2019/1:06 pm IST

हौसले से गरीबी को हराकर सपनों की उड़ान भरने वाली पूजा की कहानी ऐसी है कि मजदूर पिता की बेटी होने के कारण उसने अभाव भी देखा और संघर्ष भी। लेकिन हिम्मत न हारी। उसने अपने शौक को आमदनी का जरिया भी बनाया और अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान भी दिया।

खरगोन जिले के बडवाह तहसील के ग्राम बैडिया में मजदूर परिवार में जन्मी पूजा पिता देवराम वर्मा ने इस वर्ष 12वीं की बोर्ड परीक्षा में पूरे खरगोन जिले में बाजी मारते हुए टॉप किया है। बैडिया के प्रभात कान्वेंट हायर सेकण्डरी स्कूल की छात्रा पूजा वर्मा ने कामर्स विषय में अध्ययन करते हुए 500 में से कुल 457 अंक प्राप्त कर खरगोन जिला सहित अपने गांव और समाज का नाम रोशन किया है। पूजा का सपना है कि वह फिलहाल सीए की तैयारी में जुटेगी ताकि सीए बनकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुदृढ कर सके। इसके लिए वह जीतोड़ मेहनत करेगी। भारत सहित पूरे एशिया में लाल मिर्च की सबसे बडी मंडी के नाम से विख्यात ग्राम बैडिया की पूजा के पिता देवराम वर्मा और मां लक्ष्मीबाई पेशे से मजदूर हैं। साथ ही माता-पिता प्रतिदिन बैडिया सहित आसपास के इलाकों में हाट बाजारों में आलू और प्याज की दुकानें लगाकर अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करते है। मजदूरी करने के बाद भी पूजा के माता-पिता ने अपनी बेटी को खूब पढ़ाया लिखाया। इसी का परिणाम है कि दिन-रात मेहनत करने के बाद छात्रा पूजा ने कक्षा 10वीं के बाद अब कक्षा 12वीं में कामर्स संकाय में पूरे जिले में टॉप किया है। गरीबी के बावजूद छात्रा पूजा बचपन से ही पढ़ने में होशियार रही है, जिसके कारण पूजा ने कक्षा 12वीं में जिले में टॉप पोजीशन प्राप्त की है। छात्रा बैडिया स्थित प्रभात कान्वेंट हायर सेकण्डरी स्कूल में अध्ययनरत थी। पूजा स्कूल से आने के बाद घर में भी प्रतिदिन करीब चार से पांच घंटे तक पढाई करती रही। पूजा का मानना है कि अगर कोई भी काम लगन से किया जाए तो सफलता जरूर मिलेगी। पूजा को पढाई के साथ-साथ घर के काम करना बेहद पसंद है। उसके पीछे मुख्य कारण है कि माता-पिता के मजदूरी पर जाने के बाद दो भाइयों की जिम्मेदारी भी पूजा ही संभालती है। पूजा को सिलाई करना और मेहंदी लगाने का काफी शौक है। इससे उसकी आमदनी भी हो जाती है। इस आमदनी से वह खुद की किताबें और जरूरत का सामान खरीदती है ताकि अपने माता-पिता पर बोझ नहीं बने। पूजा के हाथों में अभी तक एंड्रॉइड फोन भी नहीं पहुंचा है। माता-पिता ने भी इस आधुनिक युग में अपनी बेटी को सोशल मीडिया से दूर रखा है। ताकि वह अपनी पढाई पर ज्यादा ध्यान दे सके। पूजा का कहना है कि वह आईबीसी 24 का दिल से धन्यवाद देना चाहती है जिन्होनें गरीब परिवार की बच्चियों की आर्थिक स्थिति को देखा और उन्हें  आगे बढ़ाने का सोचा। यह राशि गरीब बच्चों के लिए वरदान साबित होगी। मैं भी इसी राशि से आगे की पढाई जारी रख सकूंगी।