#IBC24AgainstDrugs: नशे के 'गुनहगारों' पर मेहरबानी क्यों? खुलेआम उड़ाई प्रशासन के आदेश की धज्जियां, फिर भी रसूखदारों पर कार्रवाई के नाम सिर्फ खानापूर्ति | #IBC24AgainstDrugs: Why the drug addicts are so kind? Openly flouted the order of the administration,

#IBC24AgainstDrugs: नशे के ‘गुनहगारों’ पर मेहरबानी क्यों? खुलेआम उड़ाई प्रशासन के आदेश की धज्जियां, फिर भी रसूखदारों पर कार्रवाई के नाम सिर्फ खानापूर्ति

#IBC24AgainstDrugs: नशे के 'गुनहगारों' पर मेहरबानी क्यों? खुलेआम उड़ाई प्रशासन के आदेश की धज्जियां, फिर भी रसूखदारों पर कार्रवाई के नाम सिर्फ खानापूर्ति

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:44 PM IST, Published Date : October 21, 2020/6:29 pm IST

रायपुर। रायपुर में ड्रग्स गैंग का नैक्सस नापते-नापते IBC24 की पड़ताल में एक नहीं कई खुलासे हो रहे हैं.. राजधानी में युवाओं को नशे के आगोश में धकेलने वाले आरोपियों पर पुलिस की कुछ कार्रवाई तो दिख रही है, लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से इसमें अब तक कार्रवाई नहीं करना हैरान करता है.. लॉकडाउन के दौरान तमाम नियम कानूनों को ठेंगे पर रखकर क्वींस क्लब के संचालकों ने वहां पार्टी करवाई, शराब पिलाई, बार खोलें.. लेकिन सब कुछ सामने होने के बाद भी जिला प्रशासन बाकी दूसरी कार्रवाई करना तो दूर बार लाइसेंस तक रद्द नहीं कर सका..आखिर क्यों ।

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राजधानी रायपुर में जिस वक्त कोरोना अपने संक्रमण के चरम पर था और उसकी रोकथाम के लिए जिस कलेक्टर ने पूरे जिले में सख्त लॉक डाउन की घोषणा की, उसी कलेक्टर की आदेशों की धज्जियां राजधानी रायपुर में उड़ाई गई। जिस वक्त लॉकडाउन में आम लोगों को सब्जी और फल खरीदने की भी इजाजत नहीं थी, उसी लॉकडाउन में रसूखदार जन्मदिन की नशीली पार्टी कर रहे थे। इसमें रायपुर के लोग ही नहीं बल्कि दुर्ग-भिलाई के लोग भी शामिल हो रहे थे । रायपुर के क्वींस क्लब में 27 सितंबर की रात जो कुछ हुआ वह रायपुर जिला प्रशासन के ऊपर एक बहुत बड़ा सवालिया निशान बन कर रह गया।

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सवाल है कि अपनी ही आदेश की धज्जियां उड़ते देख रायपुर जिला प्रशासन और उसका आबकारी विभाग मौन क्यों है? आज 24 दिन बाद भी रसूखदारों के इन क्लब में बार लाइसेंस तक रद्द नहीं किया गया । कार्रवाई के नाम पर आबकारी विभाग नोटिस- नोटिस खेल रहा है । पूरी घटना सामने आने के बाद अब तक रायपुर जिला प्रशासन की ओर से एकमात्र जो कार्रवाई की गई वह क्लब को सील करना था। लेकिन उसके बाद जैसे कार्रवाई पर ब्रेक लग गई है.. आबकारी विभाग ने क्लब के बार लाइसेंस धारी चंपालाल जैन को पहले 7 दिन का नोटिस देते हुए जवाब मांगा कि लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने पर बार लाइसेंस क्यों न रद्द कर दिया जाय। लेकिन आरोपी चंपालाल जैन की ओर से इसका जवाब नहीं दिया गया नोटिस पीरियड के आखिरी दिन पत्र आया कि जवाब देने के लिए कुछ समय और दिया जाए।

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इसके बाद विभाग ने एक और मोहलत दी दूसरे नोटिस का भी कोई संतोषजनक जवाब लाइसेंस धारी चंपालाल जैन की ओर से नहीं दिया गया.. आरोपी ने लॉकडाउन के दौरान बार के खुलने की घटना से ही इंकार कर दिया.. खुद आबकारी विभाग ने उसके इस जवाब को संतोषप्रद या समाधान मूलक नहीं माना.. दो दो बार की नोटिस के बाद कार्रवाई हो जानी थी लेकिन कोई कार्रवाई न कर जिला आबकारी उपायुक्त ने कार्रवाई करने की एक रिपोर्ट आबकारी आयुक्त के पास भेज दी तब भी लगा शायद अब कोई कार्रवाई हो जाए लेकिन आबकारी आयुक्त ने भी कार्रवाई करने के बजाय एक बार फिर आरोपी को नोटिस भेजकर जवाब मांगने की प्रक्रिया शुरू कर दी।

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एक बड़ा सवाल ये है कि लॉकडाउन नियमों को तार-तार करने वाले इन आरोपी पर आखिर ऐसी मेहरबानी क्यों ? इसके पहले बार लाइसेंस नियम के उल्लंघन पर तत्काल कार्रवाई हुई है और बार लाइसेंस निरस्त किया गया है लेकिन इस बार कार्रवाई के नाम पर नोटिस-नोटिस का खेल क्यों खेला जा रहा है ? सवाल ये भी कि जिला प्रशासन और आबकारी विभाग कुछ कार्रवाई करना भी चाहता है या सिर्फ कार्रवाई की आड़ में आरोपी को वक्त दे रहा है.. ताकि वो अपने बचाव में कुछ और व्यवस्था कर सके.. जानकार बताते हैं कि इस मामले में बार लाइसेंस तुरंत रद्द हो जाना था..साथ ही आबकारी विभाग को अपनी ओर से एफआइआर भी दर्ज करवाना था लेकिन रसूख के आगे जिला प्रशासन की कार्रवाई भी कुंद पड़ती जा रही है।

 
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