मध्यप्रदेश में इमरजेंसी के दौरान एक दिन भी जेल की सैर आपको अब ताउम्र 8 हजार रूपए महीने की पेंशन दिलवाएगी। शिवराज कैबिनेट ने मीसाबंदियों को दी जाने वाली जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि यानी पेंशन के नियमों में बदलाव कर दिया है। पहले कम से कम एक माह की जेल इमरजेंसी में होने पर ही 25 हजार रूपए प्रतिमाह की पेंशन का प्रावधान था। उधर अब तक पेंशन के आवेदन के साथ दो गवाहों के एफिडेविड भी लगाने होते थे…सरकार ने एफिडेविड की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया है…यानी सिर्फ जेल रिकार्ड के आधार पर आप पेंशन के लिए आवेदन कर सकते है। एक दिन से 30 एक माह तक जेल में रहने वालों को 8 हजार रूपए प्रतिमाह मिलेंगे तो वहीं एक माह से उपर वालों को 25 हजार रूपए प्रतिमाह मिलेंगे।
दरअसल मई में उज्जैन में केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गेहलोत से जुडा एक मामला सामने आया था। उज्जैन कलेक्टर द्वारा जारी दस्तावेजों के मुताबिक थावरचंद इमरजेंसी में 25 दिसंबर 1975 से 6 जनवरी 1976 तक यानी सिर्फ 13 दिन ही जेल में रहे थे…और लगातार मीसाबंदी पेंशन का फायदा उठा रहे थे…जबकि नियम कम से कम एक माह की जेल का था। उधर भाजपा के कई कार्यकर्ता और नेता जो इमरजेंसी में एक माह से कम जेल होकर आए थे…सरकार पर दबाव बना रहे थे…कि उन्हे भी कुछ फायदा होना चहिए।
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